अमित भट्टआज कल एक मेसेज खुब चल रहा है फेसबुक पर. . …राखी आने वाली है. .घरवाली जाने वाली है. .मुहल्ले कि पुरानी सेटिँग कुछ दिनो के लिए आने वाली है. ….भाई क्या आप के ससुराल मे आपकी घरवाली का मौहल्ला नही है क्या. . . . वहा के बंदे भी आप के जैसे ही सोचते होंगे न. …अगर आप की बहन का विवाह हो चुका तो वो भी तो अपने घर अपने मोहल्ले मे कुछ दिनो के लिए आयेगी. .. . ..अगर आपके मोहल्ले मे आप की बहन के लिए कोई ऐसा कहे तो. . . ….सेकुलरो कि चाल मे फंस राखी के बंधन का यूँ मजाक न बनाए. . ..एक सूत की कच्ची डोर नही. . इस मे बहनों का प्रेम, दृढ विश्वास, हमारा धर्म, हमारे संस्कार सब बँधे हुए है. . . …कृपया राखी के त्यौहार का यूँ मजाक न बनाए. Amit bhatt