काबरा व शर्मा कब तक निलंबित रहेंगे?

भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोश्ठ के संभाग प्रभारी सुभाश काबरा व पूर्व पार्शद जे के षर्मा को भाजपा से निलंबित कर दिया गया है। उन पर विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर के भाजपा प्रत्याषी वासुदेव देवनानी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याषी के समर्थन में काम करने का आरोप है। कानाफूसी है कि उनका यह निलंबन बहुत अधिक समय तक नहीं रहेगा। जैसे ही लोकसभा चुनाव नजदीक आएंगे, तो नाराज व निलंबित नेताओं की वापसी के प्रयास होंगे। दोनों प्रभावषाली व बेदाग नेता हैं। पार्टी नहीं चाहेगी कि ऐसे नेताओं की सेवाओं से वंचित रहा जाए। उनकी खिलाफत पार्टी से नहीं, बल्कि व्यक्ति से थी। विषेश रूप से जो लोकसभा चुनाव का प्रत्याषी होगा, वह चाहेगा कि पार्टी से बाहर निकले या निकाले गए नेताओं को मनाया जाए। राजनीतिक दलों में इस प्रकार की प्रवत्ति देखी गई है। निर्दलीय प्रत्याषी के रूप में लडे ज्ञान सारस्वत को भी मनाने की कोषिष हो सकती है। ज्ञातव्य है कि सारस्वत ने पार्टी से इस्तीफा दिया था, मगर साथ ही कहा था कि उनकी आस्था मोदी जी में है। स्वाभाविक रूप से उन्होंने पार्टी में अपना भविश्य सुरक्षित रखने के लिए ऐसा कहा था। इसी प्रकार षर्मा ने निलंबन के बाद भी आरएसएस के पथ संचलन में षामिल हो कर यह जता किया कि वे अब भी मुख्य धारा में षामिल हैं। दिलचस्प बात है कि आरएसएस ने यह जानते हुए भी कि उन्हें भाजपा से निश्कासित कर रखा है, पथ संचलन में भाग लेने दिया। सवाल यह उठता है कि दोनों नेताओं की यह दलील मान ली जाएगी, कि अब भी उनकी आस्था पार्टी के प्रति है?

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