आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जयंती महोत्सव समारोह

जिला प्रशासन, मुजफ्फरपुर द्वारा राजकीय सम्मान के साथ आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री जयंती समारोह मनाया गया जिसका विधिवत उद्‌घाटन जिलाधिकारी श्री सुव्रत कुमार सेन द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में गया जिले श्री अरविन्द कुमार, कवि, साहित्यकार बिहार विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष डा० सतीश कुमार राय पूर्व विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग बिहार विश्वविद्यालय डा० पूनम सिन्हा एवं प्रथम सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय विछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा भगवान लाल सहनी ने की। साथ मुख्य वक्ता के रूप में कवि, साहिलकार शास्त्री जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के सहचर डा संजय पंकज उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन गोपाल फलक ने किया।

उद्‌घाट्‌नकर्ता के रूप में जिलाधिकारी सुव्रत कुमार सेन ने समाज के सकारात्मक सोच एवं समाज के निर्माण में साहित्य के महत्वपूर्ण भूमिका को इंगित किया। आचार्य शास्त्री जी जैसे साहित्यकारों के साहित्यिक कृति को संरक्षित करने नई पीढ़ियों को जोड़ने का आग्रह किया। अगले वर्ष इस समारोह को विस्तार करने पर जोर दिया। अरविन्द कुमार जी ने संस्मरण को सुनाते हुए उनके कित्व एवं कृतित्व के सृजन के चित्र खीचें। सतीश कुमार राय ने आचार्य शास्त्री के काव्य शिल्प, रसात्मकता, विम्बों की चर्चा की। डा० पूनम सिन्हा ने शास्त्री जी के शब्द सिल्वी शिल्प, वाक्य विन्यास तथा उनकी रचना पर अन्य प्रभावों की चर्चा की। संजय पंकज ने उनकी अनेक रचनाओं को और उनके शिल्प विधान, सांगिकता लयात्मकता और उनके व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। भगवान लात सहनी ने अपने अध्यक्षीय उद‌गार में उनके समाजवादी विचार धारा और काव्य शिल्प की द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता डा देवव्रत अकेला, पूर्व विभागाध्यक्ष अंग्रजी विभाग बिहार विश्वविद्यालय ने की। पहली रचना विजय शंकर मिश्र ने, माँ तो केवल माँ होती है, मंत्रमुग्ध कर दिया। उसके बाद कैमूर जिले से श्री मनोज कुमार, “मुझे दिल में बसाने हमारे दिल में आने का का बताओ” श्रीवास्तव ने बताओ ओल क्या लोगे ? “”सविता राज की गजल ‘आंसुओं का इक समंदर पास है,और ये बहती रही हैं बेटियां” ने तालियां बटोरी। पंकज कर्ण ने “यामना चाहता हूँ जब मशाल हाथों में, बात घर-बार की आ जाती है।” सुनाई।चांदनी समर ने “ऐसा नहीं शहर में उस सा नहीं कोई”सुनाई। सतीश कुमार साथी ने “मुझे मेरी औकात पता है” सुनाई। डा० सोनी – “देखा मैने ख्वाव नया” भी सराही गई।श्यामल श्रीवास्तव ने “माँ मेरी है” सुनाई। लालबच्चन पासवान् ने लघु
जिदंगी है मान भी जाओ” सुनाई। पंकज कुमार वसंत ने “इस बुरे वक्त में पास आये कोई” सुनाई। डा० भावना ने “तेरे घर सुख नौकर ये हो हो” सुनाई। अविनाश भारती ने ” शहर की बात” सुनाई।हेमा सिंह ने “चांदनी की गोद में” सुनाई।गोपाल फलक की रचना “ख्यालों की के दीप जगमगाते रहे” काफी सराही गई।अरविन्द कुमार ने “सो रहें हैं तो शहर में पाँव मोड़ कर” सुनाई । अन्त में धन्यवाद ज्ञापन नगर दण्डाधिकारी रविशंकर शर्मा ने किया। इस अवसर पर वरीय उप समाहरता अर्चना कुमारी वरीय उप समाहरता जुली पाण्डेय उपस्थित थे।

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