सतीश पूनिया के सामने सब चुप

अजमेर संसदीय सीट पर भाजपा टिकट की दावेदारी कर रहे नेता अपना अपना जुगाड बैठा रहे हैं। डॉ दीपक भाकर व पुखराज पहाडिया सरीखे तो पूरी शिद्दत के साथ जुटे हुए हैं। मगर सारे दावेदारों की स्थिति यह है कि जैसे ही सतीश पूनिया का नाम आता है, वे चुप हो जाते हैं। सब मानते हैं कि हाईकमान पूनिया को टिकट देगा तो देगा। हर दावेदार अन्य दावेदार की कमी गिना सकता है, मगर पूनिया के बाहरी होने के मामले में चुप है। वैसे मीडिया में भी पूनिया का नाम सर्वोपरि है। मगर कुछ जानकार मानते हैं कि उन्होंने अभी तक पक्का मानस नहीं बनाया है। वे इस पर नजर रखे हुए हैं कि कांग्रेस किसको मैदान में उतारती है। बताते हैं कि उन्होंने विकल्प के रूप में सरिता गैना पर वरदहस्त रख दिया है। स्वाभाविक रूप से ऐसे किसी नेता के लिए सहमति नहीं देंगे जो सांसद बनने के बाद जाट राजनीति में अपना कद खडा कर ले। डॉ भाकर ने अपने दिल्ली स्थित सभी सूत्रों के तार जोड दिए हैं। कमी है तो स्थानीय समर्थन की। हालांकि ऐसा माना जा रहा था कि बी पी सारस्वत जाट फैक्टर लागू होने पर भाकर का साथ देंगे, मगर फिलवक्त सारी ताकत खुद के लिए ही झौंक दी है। पुखराज पहाडिया ने नीचे से उपर तक मजबूत किलेबंदी कर दी है। जिला प्रमुख रह चुकने के कारण जिले भर में अपने संपकों के दम पर दावेदारी कर रहे हैं। अजमेर उत्तर में वासुदेव देवनानी को जितवाने में अहम भूमिका निभाने के कारण अंदरखाने देवनानी का समर्थन मिलने की उम्मीद करते हैं, तो कुछ गलत नहीं है। भागीरथ चौधरी को इस बार रिपीट नहीं किया जाएगा, यह आम धारणा जाने क्यों बनी हुई है। बाकी के दावेदार बिल्ली के भाग्य का छींका टूटने के इंतजार में हैं।

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