मगर संघ तो अभी नाराज है शिंदे से

sushil kumar shindeकानाफूसी है कि केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की माफी के बाद भी संघ परिवार का गुस्सा पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है। यह जरूर है कि ‘हिंदू आतंकवाद’ के अपने बहुचर्चित बयान पर शिंदे खेद जता चुके हैं। इसे भाजपा नेतृत्व ने स्वीकार भी कर लिया था, लेकिन संघ नेतृत्व ने इस प्रकरण पर अपनी नाराजगी के संकेत दे दिए हैं।
दरअसल, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की पहल पर गृहमंत्री से खेद पत्र लिखवाने की समझदारी बनाई गई थी। ताकि, गृहमंत्री को लेकर राजनीतिक टंटा खत्म किया जाए। तय रणनीति के अनुसार बुधवार शाम गृहमंत्री ने खेद जताते हुए भाजपा नेतृत्व को पत्र भी लिख दिया था। इसके बाद भाजपा नेताओं ने इसका स्वागत करते हुए कह दिया था कि देर से सही, लेकिन शिंदे ने दुरुस्त कदम उठा लिया है। ऐसे में, उनके ‘बॉयकॉट’ के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। लेकिन, संघ के वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा की इस रणनीति पर नाराजगी जाहिर कर दी है। संघ के प्रवक्ता राममाधव ने मीडिया से कह दिया है कि हिंदू आतंकवाद को लेकर गृहमंत्री ने जिस तरह से गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया था, वह यूं ही माफी लायक नहीं है। कांग्रेस के नेताओं ने यह नहीं बताया कि उन्हें एक महीने बाद खेद जताने की याद क्यों आई? संघ के एक वरिष्ठ नेता ने ‘डीएलए’ से कहा कि गृहमंत्री ने अपने खेदनामे में यह भी जिक्र किया है कि उन्होंने बगैर किसी आधार के हिंदू आतंकवाद का आरोप लगाया था। ऐसे में, इस मुद्दे पर बहस जरूर होनी चाहिए कि आखिर गृहमंत्री की कुर्सी पर एक गैर-जिम्मेदार शख्स कैसे बैठ गया है? जो कि एक महीने पहले कहता है कि उसके पास कुछ ऐसी रिपोर्ट आई हैं, जिनके आधार पर वे कह सकते हैं कि संघ और भाजपा के प्रशिक्षण शिविरों में हिंदू आतंकवादी तैयार किए जाते हैं। संघ प्रमुख ने इस बात पर हैरानी जताई है कि शिंदे की चिट्ठी के आधार पर ही सब कुछ माफ कर देने की रणनीति ठीक नहीं है। क्योंकि, संघ परिवार के लाखों कार्यकर्ता गृहमंत्री के बयान से दुखी हैं। यदि गृहमंत्री वाकई में माफी मांगना चाहते हैं, तो उन्हें खुलकर पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। क्योंकि, यह मामला भाजपा तक ही सीमित नहीं रहा है।

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