प्रदेश भाजपा की हाल ही घोषित कार्यकारिणी में यद्यपि जातीय संतुलन का पूरा ख्याल रखा गया है, मगर भाजपा मानसिकता के सिंधी समाज की उपेक्षा से समाज में खुसरफुसर शुरू हो गई है। कार्यकारिणी में औपचारिकता के लिए मात्र जयपुर निवासी चंदीराम राघानी को शामिल किया गया है, जिन्हें वसुंधरा ने अपने पिछले मुख्यमंत्रित्व काल के आखिर में राजस्थान सिंधी अकादमी का अध्यक्ष बनाया था। सिंधी समाज को अफसोस है कि कहां तो पिछली कार्यकारिणी में उसका सदस्य श्रीचंद कृपलानी महामंत्री जैसे अहम पद पर था और कहां नई कार्यकारिणी में मात्र एक को कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है। सिंधियों के गढ़ माने जाने वाले अजमेर में इसकी खासी चर्चा है। इस चर्चा का सिंधी-गैर सिंधीवाद के संदर्भ में विशेष महत्व माना जा सकता है। ज्ञातव्य है कि पिछले विधानसभा चुनाव में सिंधी समाज की उपेक्षा करने पर चली मुहिम के चलते कांग्रेस ने न केवल अजमेर की सीट हारी, अपितु चार और सीटों पर भी उसे हार का सामना करना पड़ा था।