डीएसपी की शहादत का ये हश्र

dspउत्तर प्रदेश में शहीद हुए डीएसपी जियाउल हक की का जितना सम्मान किया जाए, कम है। उनकी पत्नी परवीन आजाद भी बेशक संवेदना की पात्र हैं। मगर कानाफूसी है कि अब वे जिस तरह का बर्ताव कर रही हैं, उससे शहादत की जो अहमियत है, वह कहीं न कहीं कमतर होती नजर आती है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के कुंडा के डीएसपी जियाउल हक की पिछले हफ्ते हत्या कर दी गई थी। इस कांड में वहां के ताकतवर मंत्री रघुराज प्रताप सिंह यानि राजा भैया का नाम सामने आया। राजा भैया को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। उधर अपने पति की शहादत के बाद डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने जिस तरह से उत्तरप्रदेश सरकार के सामने अपनी मांगों की फेहरिश्त जारी करनी शुरू कर दी है, उसने न सिर्फ विवाद खड़ा कर दिया है, बल्कि कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से पीडि़त परिवार के पांच सदस्यों को नौकरी देने की घोषणा के परिप्रेक्ष्य में परवीन आजाद ने नौकरी के लिए जो नाम दिए, विवाद वहीं से शुरू हुआ। परवीन ने अपने मायके पक्ष के लोगों के नाम नौकरी के लिए दे दिए, जबकि डीएसपी के पिता ने इसका विरोध किया और यह कहा कि बेटा उनका खोया है, तो यह अधिकार उनका बनता है। इस पर विवाद थमा नहीं था कि परवीन आजाद ने उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा उनको योग्यता के आधार पर दी गई नौकरी को यह कहकर ठुकराने का काम किया कि उनको डीएसपी से नीचे का पद मंजूर नहीं है। अब परवीन आजाद ने पांच मांगें और सामने रख दी हैं। यूपी सरकार को अपनी 5 मांगों का खत सौंप परवीन ने कहा है कि हत्याकांड की सीबीआई जांच करने वाले अधिकारी दिल्ली के हों न कि लखनऊ के, इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर रोजाना की जाए, फास्ट ट्रैक कोर्ट यूपी के बाहर हो, जो भी सबूत मिलें वो सीधे कोर्ट तक पहुंचें और जांच की जानकारी उन्हें भी दी जाए। इन मांगों को लेकर सीबीआई पशोपेश में है।
बेशक डीएसपी की शहादत वास्तव में उनके परिवार के लिए बड़ी क्षति है। खासकर उनकी पत्नी के लिए, लेकिन उनकी पत्नी को अपने पति की शहादत का सम्मान करना चाहिए, न कि अपनी मांगों और बातों से ऐसा कुछ करना चाहिए कि जिससे शहादत का अपमान हो।

1 thought on “डीएसपी की शहादत का ये हश्र”

  1. डी एस पी की शहादत को प्रवीन बेगम ने सौदा बना दिया,और उसका सारा महत्व ही ख़तम हो गया.लोगों की सहानुभूति भी समाप्त हो गयी.ऐसा लगता है कि वे कुछ स्वार्थी ना समझ लोगों के बीच उलझ गयी हैं,ऐसा लगने लगा है कि वे खुद भी संवेदना शून्य हो गयी हैं.सरकार इस सौदे को मान भी गयी तो यह गलत परम्परा कि शुरुआत हो जाएगी,और शहादत भी सांप्रदायिक बन जाएगी .यह बहुत ही चिंतनीय विषय है.

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