गैंगरेप पीड़िता से निहाल हुआ टीवी रिपोर्टर

journalist logoराजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में बहुचर्चित महिला के साथ हुए गैंगरेप मामले में जहां नेताओं ने अच्छी खासी रकम अपनी-अपनी जेबों में कर ली, वहीं लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ माने जाने वाले मीडिया कर्मियों की भी चांदी हो गई। श्रीगंगानगर जिले की एक महिला ने विगत दिनों अपने पति सहित प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा कोलोनाइजर्स पर गैंग रेप का मुकदमा महिला थाना में दर्ज करवाया था। चूंकि दिल्ली गैंग रेप के बाद पुलिस को सक्रिय होना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया। हालांकि पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपित पति को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शेष आरोपितों की गिरफ्तारी में कोई दिलचस्पी नहीं ली। इसी बीच भाजपा के ही एक नेता ने विगत दिनों अपने क्लीनिक पर समझौते के लिए बैठक बुलाई। इसमें पीडि़ता और आरोपित शामिल थे। चूंकि यह मामला बहुत संगीन था और समाचार पत्रों में सुर्खियों में काफी दिनों तक छाया रहा। हैरानी वाली बात यह है कि इस बैठक में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ माने जाने वाले न्यूज चैनल के तथाकथित रिपोर्टर भी मौजूद थे।
इन तथाकथित रिपोर्टरों ने बैठक के दौरान पूरी कवरेज की। लाखों में समझौता हो गया, परन्तु इस समझौते को सार्वजनिक नहीं करने के लिए तथाकथित टीवी रिपोर्टरों को खरीदना शुरू कर दिया। इन्हीं टीवी रिपोर्टरों में से एक हमेशा सिर पर चश्मा लगाये रखता है और नीले रंग के मोटरसाइकिल पर घूमता रहता है। इसी के साथ सिर पर चश्मा टांगने वाला एक और तथाकथित स्वतंत्र पत्रकार है, जो इस बैठक में मौजूद था। बैठक में जब यह पता चला कि तथाकथित टीवी रिपोर्टर भी आ गये हैं तो इनकी जुबान बंद करने के लिए नेताओं ने इनकी खरीद-फरोख्त शुरू कर दी। नेताओं का कहना था कि जब समझौता हो चुका है तो आप बताओ कि आपकी रणनीति है। नीले रंग के मोटरसाइकिल पर घूमने वाले एक राजस्थानी टीवी चैनल के रिपोर्टर ने लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को ताक पर रखकर अपनी डिमाण्ड रख डाली। डिमाण्ड तो मोटी थी लेकिन टीवी पर खबर का प्रसारण ना हो इसके लिए ले-देकर 50,000 रुपये में सौदा तय हो गया। इस राजस्थानी टीवी चैनल के रिपोर्टर ने 50,000 रुपये ले लिये और अपने साथ तथाकथित एक और स्वतंत्र पत्रकार को भी 20,000 रुपये दिला दिये। हैरानी वाली बात यह है कि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए आगे रहता है लेकिन कुछ इलेक्ट्रोनिक मीडिया कर्मियों की वजह से यह एक तरह से दुकानदारी बनकर रह गई है।

-जयप्रकाश मील, पत्रकार
भडास 4 मीडिया से साभार

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