ऐसे तो मिल ली राजस्थानी को मान्यता

rajasthaniपिछले दिनों अखिल भारतीय राजस्थान भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रदेश महामंत्री राजेन्द्र बारहठ को भारत सरकार के उपक्रम साहित्य अकादमी राजस्थानी भाषा की सलाहकार मण्डल में सदस्य मनोनीत किया गया है। साहित्य अकादमी सम्पूर्ण भारत की 24 भाषाओं के सलाहकार मण्डल का गठन करती है, जो भाषा की समृद्धि एवं विकास के लिए कार्य करती है तथा इसका कार्यकाल 5 वर्ष होता है। डा. राजेन्द्र बारहठ को उनके राजस्थानी भाषा के साहित्य योगदान के मद्देनजर यह पद प्रदान किया गया है। कानाफूसी है कि अगर इस प्रकार संघर्ष का जिम्मा संभाले जिम्मेदार लोग ही सरकारी पदों से उपकृत होंगे, तो वे भला सरकार से अपनी मांग पूरी करवाने के लिए संघर्ष कैसे कर पाएंगे?
ज्ञातव्य है कि राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है, मगर आज तक कुछ नहीं हुआ। इसकी वजह ये है कि संघर्ष करने वाले अधिसंख्य नेता मात्र औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। संघर्ष समिति में राजनीतिक रूप से अप्रभावी लोग शामिल हैं, जिनकी जनता में ही पकड़ नहीं है। यही वजह है कि सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। जब तक मांग के लिए जनआंदोलन नहीं किया जाएगा, तब तक कुछ नहीं होगा। और अगर संघर्ष करने वाले ही सरकार से उपकृत होंगे तो फिर मिल ली राजस्थानी का मान्यता।

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