राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार का पत्रकारों को दिया गया जमीनों का तोहफा अखबार मालिकों के लिए नई मुसीबत बनने जा रहा है। प्लॉट पा चुके पत्रकार नए अखबार और नई नौकरी की तलाश में है। अखबारों के संपादकीय विभागों से छन-छनकर आ रही खबरों पर विश्वास किया जाए तो जयपुर के पत्रकार जगत में बड़ी उठापटक होने जा रही है। अमर उजाला और नवभारत टाइम्स राजस्थान के पत्रकारों का बड़ा सहारा बनने जा रहे हैं।
अस्सी के दशक में नाकाम होकर दिल्ली लौट चुका नवभारत टाइम्स फिर से राजस्थान में नई पारी खेलने के लिए तैयार है। दिसंबर तक होने वाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत नवभारत टाइम्स के जयपुर में दस्तक देने की तैयारी है। खबर है कि लखनउ में अमर उजाला के संपादक इंदु शेखर पंचोली फिर से राजस्थान आने को तैयार है। नवभारत टाइम्स के जरिए उनकी वापसी की संभावनाएं बताई जा रही है। अमर उजाला के यशवंत व्यास भी पिछले दिनों जयपुर का फेरा लगा चुके हैं जिसमें अपने पुराने संस्थान भास्कर के कई पत्रकारों से की गई मुलाकात को रूटीन नहीं कहा जा रहा।
अमर उजाला या नवभारत टाइम्स या कोई और परंतु इस बीच कुछ नाम सामने आए हैं जो भास्कर से विदाई की तैयारी कर चुके हैं। भास्कर के सिटी चीफ सतीश सिंह के फिर से अमर उजाला ज्वाइन करने की खबर है। पंचोली जब भास्कर में थे तब पत्रिका से डूंगर सिंह राजपुरोहित और श्रवण सिंह राठौड़ को भास्कर लाए थे। दोनों भले आज भी भास्कर में हैं परंतु पंचोली के साथ उनके आत्मीय संबंध कायम है। दोनों की अर्जियां पंचोली तक पहुंच जाने की चर्चा है। इनका उपयोग अमर उजाला के लिए होता है या नवभारत टाइम्स के लिए, यह पुख्ता नहीं है।
पत्रिका में भी कुछ पत्रकार हैं जो नए संस्थान की तलाश में हैं। बताया जाता है कि पत्रिका और भास्कर के पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग अपने संस्थान में असहज महसूस कर रहा है। इस वर्ग के पत्रकार अपना संस्थान तो छोड़ना चाहते हैं परंतु घर नहीं। जयपुर में ही नौकरी करते रहने की उनकी इच्छा अब तक इसलिए फलीभूत नहीं हो पा रही थी क्योंकि यहां मीडिया संस्थान की कमी है। इसी बीच दो नई परिस्थितियां बन गई।
गहलोत सरकार की पत्रकारों को दी गई चुनावी सौगात से पत्रकार उपकृत हो गए। प्लॉट के लिए अखबार का प्रमाण पत्र चाहिए था, वह मिल गया। जयपुर जैसे शहर में तीन-चार लाख रूपए के खर्च यानि रियायती दर पर बीस-पच्चीस लाख रूपए का जमीन का टुकड़ा मिलते ही पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग रातोंरात आर्थिक तौर पर समृद्ध हो गया। दूसरी ओर नवभारत टाइम्स के फिर जयपुर लौटने और अमर उजाला को पत्रकारों की जरूरत की खबर ने पत्रकारों के लिए अनुकूल माहौल बना दिया। प्लॉट पॉलिटिक्स ने एक और पत्रकार वर्ग पैदा किया है। ये वे पत्रकार हैं जिन्हें किसी न किसी वजह से अपने संस्थान के कारण प्लॉट का तोहफा नहीं मिल पाया। अपने संस्थान से नाराज पत्रकारों का यह वर्ग भी नई नौकरी की तलाश में है।
इधर कुछ नए न्यूज चैनल आने की भी तैयारी है। पिछले सालों में राजस्थान में कई न्यूज चैनल नाकाम हो चुके हैं। ईटीवी राजस्थान तथा सहारा एनसीआर जरूर प्रदेश में अपने पैर जमाए हुए हैं। चुनावी साल होने के कारण समाचार प्लस के राजस्थान में दस्तक देने और ईटीवी राजस्थान के पूर्व संपादक अनिल लोढ़ा के भी अपना न्यूज चैनल शुरू किए जाने की आधिकारिक घोषणा हो चुकी है। नई नौकरी की तलाश करने वालों के लिए नए न्यूज चैनल भी ठिकाना बनने जा रहे हैं। कुल मिलाकर पिंकसिटी की पत्रकारिता में बड़ी उठा-पटक की स्थिति आने वाली है।
-राजेंद्र हाड़ा, वरिष्ठ पत्रकार
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भडास4मीडिया से साभार