खुद को हिंदू साबित करना पडा दिग्विजय को

digvijay singhसोशल मीडिया पर आरएसएस के पेड वर्करों द्वारा किये जा रहे हमलों से आहत दिग्विजय सिंह ने  एक ब्लाग लिखकर कहा है कि ”मैं सतानत धर्म में दीक्षित एक हिन्दू हूं। मैंने जगदगुरू शंकराचार्य से 1983 में दीक्षा लिया है। 1969 में मेरा यज्ञोपवीत संस्कार हुआ हुआ था। उस वक्त मुझे गायत्री मंत्र की दीक्षा दी गई थी। तब से मैं नियमति आधे घण्टे गायत्री मंत्र का जाप करता हूं।” दिग्विजिय सिंह आगे लिखते हैं कि “गुना स्थित राघोगढ़ के मेरे घर में नौ मंदिर हैं। हमारी परंपरा के अनुसार इन मंदिरों में नियमति पूजा होती है। और यह सब पिछले 14 पीढ़ियों से चला आ रहा है।”

आरएसएस के पेड वर्करों द्वारा सोशल मीडिया पर लगातार दिग्विजय सिंह का अपमान किये जाने पर दिग्विजय सिंह अपने ब्लाग में लिखते हैं “सोशल मीडिया पर मैं शायद सबसे घृणित व्यक्ति हूं क्योंकि संघ के पेड वर्कर और मोदी द्वारा मणिनगर, अहमदाबाद से संचालित ‘संस्कार धाम’ में बैठे लोग मेरे बारे में इस तरह का प्रचार करते हैं। मेरे नाती पोते के उम्र के बच्चे मुझे डॉगविजय और पिग्विजय बुलाते हैं।” दिग्विजय सिंह लिखते हैं कि उन्हें उन बच्चों के मां बाप से कोई शिकायत नहीं है बल्कि यह संघी गैंग का संस्कार है जो उन बच्चों के सिर चढ़कर बोल रहा है।

अपने ब्लाग में अपने परिवार के हिन्दू धर्म और रीति रिवाज पर विस्तार से लिखते हुए दिग्विजय सिंह लिखते हैं कि “मेरी मां बहुत धार्मिक थी और उन्होंने अपने पांचों बच्चों में हिन्दू धर्म के अच्छे संस्कार दिये हैं। हमारे घर में अखण्ड ज्योति जलती है और उसकी लौ चौबीसों घण्टे जलती रहती है।” दिग्विजय सिंह कहते हैं कि वे एक ऐसे ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं जो राघोगढ़ के हनुमान मंदिर में वैदिक पाठशाला का संचालन करती है। वहां 80 बच्चे यजुर्वेद और अन्य वैदिक विद्या का मुफ्त में शिक्षण प्राप्त करते हैं।

अपने ब्लाग में दिग्विजय सिंह लिखते हैं कि वे पिछले 21 सालों से नियमित असाढ़ी एकादशी को पंढरपुर विठोबा के दर्शन के लिए जाते हैं और मास में दो बार एकादशी का व्रत रखते हैं। इसके बावजूद संघी गैंग के लोग मुझे हिन्दू विरोधी बताते हैं और कभी मुस्लिम बताने लगते हैं तो कभी ईसाई ठहराने लगते हैं।

दिग्विजय सिंह लिखते हैं कि मैंने अपने गुरू से हिन्दुत्व के बारे में जानने की कोशिश की तो वे खुद हिन्दुत्व को परिभाषित नहीं कर सके क्योंकि हिन्दुत्व का पहली बार इस्तेमाल सावरकर ने किया था जो कि आर्य समाज से जुड़े हुए थे। दिग्विजय सिंह लिखते हैं कि आर्य समाज किस तरह सनातन धर्म का विरोधी है, इसे बताने की जरूरत नहीं है। दिग्विजय सिंह लिखते हैं कि एक सनतनी हिन्दू होने के नाते उनका धर्म बनता है कि आरएसएस द्वारा निशाना बनाये जा रहे अल्पसंख्यकों के हित में आवाज उठाऊं।
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