मिर्ची कांड से शर्मसार के बाद आखिरकार लोकसभा ने आज लोकसभा में पृथक तेलंगाना को अपनी मंजूरी दे दी। सारी कार्रवाई बंद कमरों में अंजाम दी गई और संसद के बंद दरवाजों के भीतर सिर्फ औपचारिक बहस ही करवाई गई लेकिन लोकसभा में विधेयक के पारित होने के बाद पृथक तेलंगाना का रास्ता साफ हो गया है। अब यह विधेयक राज्यसभा में जाएगा जहां पारित होने के बाद राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा जिसके बाद तेलंगाना का सपना साकार हो सकेगा।
लोकसभा में हुई बहस के दौरान सदन में भाजपा की नेता और नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने तेलंगाना विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि “भाजपा शुरू से ही पृथक तेलंगाना राज्य के पक्ष में रही है। इसलिए वह अपनी विश्वसनीयता पर कायम रहते हुए विधेयक का समर्थन कर रही है।” हालांकि उन्होंने शिकायत भी की कि सोनिया गांधी 2004 का वादा 2014 में पूरा कर रही हैं और वह भी आम चुनाव से ठीक पहले। सुषमा ने पृथक तेलंगाना का पुरजोर समर्थन करने के साथ ही आंध्र प्रदेश के बंटवारे के कारण सीमांध्र को होने वाले घाटे को पूरा करने की सरकार से मांग की।
लोकसभा में अलग तेलंगाना विधेयक प्रस्तुत करते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि ”केंद्र सीमांध्र को विशेष आर्थिक पैकेज देगा। उन्होंने कहा कि दोनों क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने का पूरा प्रयास किया जाएगा और बंटवारे से दोनों क्षेत्रों के बीच प्राकृतिक संसाधनों सहित हर तरह के संसाधनों के बंटवारे में भी न्याय बरता जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार की दोनों में से किसी भी क्षेत्र को नुकसान होने देने की कोई मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों क्षेत्रों को बराबर का न्याय देने के लिए वित्त मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय और योजना आयोग आदि से गहन विचार विमर्श होगा।”
हालांकि भाजपा ने अलग तेलंगाना विधेयक का समर्थन जरूर किया लेकिन सदन के भीतर उसके सहयोगी दल शिवसेना ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो वाम दलों में माकपा ने इसका विरोध किया तो भाकपा ने इसका समर्थन किया। तृणमूल कांग्रेस ने भी अलग तेलंगाना विधेयक का विरोध किया है।
आंध्र मंत्री, 3 विधायकों का इस्तीफा
हैदराबाद। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के एक मंत्री और तीन विधायकों ने मंगलवार को तेलंगाना गठन के विरोध में इस्तीफा दे दिया। आधारभूत संरचना मंत्री जी.श्रीनिवास राव ने मंत्रिमंडल और पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राज्यपाल ई.एस.एल.नरसिम्हन को फैक्स के जरिए अपना इस्तीफा भेजा। यह जानकारी उनके सहयोगी ने दी। सीमांध्र के दो अन्य विधायकों ने भी केंद्र सरकार के तेलंगाना गठन के फैसले पर इस्तीफा दे दिया। सी.वेंकटरमैया और टी. त्रिमुरथुलू ने विधानसभा और कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि राजनीतिक फायदे के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के साथ मिल कर राज्य के विभाजन का सौदा किया गया है। विधान परिषद सदस्य यू.वी.रमणमूर्ति राजू ने भी इस्तीफा दे दिया।