भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस के अवसर अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के तत्वाधान मैं देह्तोरा ग्राम मैं बच्चों और बडों ने कैंडल जलाकर शहीद भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे नौजवान, मजदूर, महिलाएं, बच्चे व स्थानीय लोग उपस्थित थे।
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के सम्पादक मानसिंह राजपूत ने भगत सिंह के जीवन और उनके लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने फांसी के फंदे को हंसते-हंसते गले लगाया था। उन्होंने अंतिम बार इंकलाब का नारा ’इंकलाब जिंदाबाद!‘ के साथ अपने प्राण दिये। हमारे तीन वीर सपूतों को फांसी इसलिए दी गई क्योंकि उन्होंने साम्राज्यवाद के खिलाफ, औपनिवेशिक गुलामी और सभी प्रकार के शोषण और अन्याय को समाप्त करने के लिए इंकलाब का झंडा फहराया था। हिन्दोस्तान के 63वर्ष पुराने गणतंत्र में, उनके सपने आज भी अधूरे हैं। हमें उनके सपनों को साकार करने के लिए आगे आना होगा।
ब्रज लेजर के डायरेक्टर अरबसिंह राजपूत बोस ने कहा की आज हिन्दोस्तान की आबादी में बहुसंख्यक नौजवान हैं, जिसमें बड़ा हिस्सा हमारे नौजवान मजदूर-किसान हैं। हिन्दोस्तानी पूंजीपति वर्ग नहीं चाहते हैं कि नौजवान एक राजनीतिक ताकत बन जायें। वे चाहते हैं कि नौजवान उत्पादक शक्ति के रूप में सीमित रहें ताकि जबरदस्त मुनाफे का साधन बने रहें। वे चाहते हैं कि नौजवान खुदगर्ज हित के सिद्धांत को अपनाएं, तरक्की के सपने दिल में लिये, इधर-उधर हाथ-पैर मारें, बार-बार ठोकर खायें और उनके मुनाफे का शिकार बने रहें।
उन्होंने कहा की आज के दिन तीनों क्रांतिकारियों शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरु, शहीद सुखदेव, को अंग्रेजी बस्तीवादी हुकूमत ने फांसी दी थी। ‘क्रांतिकारी शहीदों के सपनों को साकार करने के लिये, हिन्दोस्तान के नौजवानों, मजदूर वर्ग के नेता बनो’ इस नारे ने ही सब कुछ कह दिया है, कि आज हिन्दोस्तानी नौजवानों को मजदूर वर्ग का नेता बनने की जरूरत है।
कार्यक्रम के संचालक अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उपसम्पादक ब्रहमानंद राजपूत कहा कि हमारे शहीदों ने हमें आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की और हँसते हँसते फांसी पर चढ गए ऐसे वीर सपूतो को शत शत नमन। आज देश को स्वतंत्र हुए 65वर्ष बीत चुके हैं। पर आज भी हिन्दोस्तान की आबादी का अधिकतम हिस्सा बुनियादी अधिकारों – रोजी-रोटी, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, आदि से वंचित है। हर रोज हमारी जिंदगी की हालत बदतर से बदतर होती जा रही है। यह पूरे देश और समाज के सभी तबकों – मजदूरों, किसानों, औरतों, नौजवानों, आदिवासियों – का हाल है। यह हिन्दोस्तान के गणतंत्र की बहुसंख्यक श्रमिक आबादी की हकीकत है। इसी गणतंत्र का दूसरा चेहरा है कि हिन्दोस्तान प्रगति कर रहा है। वह विश्व में एक-ताकतवर देश बनने जा रहा है। देश के मुट्ठीभर पूंजीपतियों की दौलत इतनी बढ़ गयी है कि वे विदेशों की बड़ी-बड़ी कंपनियों को खरीद रहे हैं और खरीदने की क्षमता रखते हैं। वे दक्षिण एशिया के पड़ौसी देशों पर दादागिरी करके, खुद को साम्राज्यवादी राज्य की भूमिका में लाना चाहते हैं। इसको हासिल करने के लिये देश के मेहनतकश नौजवानों को अपने पीछे लामबंद करना उनके लिये बेहद जरूरी है, इसीलिये आज हमारे सामने तरह-तरह के सपने बेच रहे हैं, ताकि उनकी गुलामी करते रहें, उनके बेशुमार मुनाफों का स्रोत बने रहें और उनके फेंके गये कुछ टुकड़ों से खुश रहें। १९३१ मैं हमारे वीर सपूतो ने हमें अंग्रेजो से आजादी दिलाने के लिए कुर्बानी दी थी आज हमें पूंजीपतियों से आजादी की जरूरत है जिसके लिए हमें खुद आगे आना होगा जिस तरह हमारे शहीद भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव आये थे।
पवन राजपूत ने नौजवानों से आह्वान करते हुए कहा कि हिन्दोस्तान का भविष्य नौजवानों के हाथ में है! नौजवानों को एक ऐसे हिन्दोस्तान की रचना के लिए आगे बढ़ना होगा, जहां आर्थिक और राजनीतिक फैसले लेने का अधिकार लोगों के हाथ में हो। जहां अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल सभी को सुख और सुरक्षा दिलाने की दिशा में किया जाता हो। जहां लोग, उनकी जिंदगी पर पड़ने वाले हरेक प्रभाव के संबंध में निर्णय ले सकें। तभी इस देश में असली गणतंत्र और लोकतंत्र हो सकता है। अंत में उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह व उनके साथियों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, यदि हम उनके बताये गये रास्ते पर चलकर, शोषण और अन्याय से मुक्त समाज की स्थापना कर सकें, देश में मजदूरों, किसानों, औरतों और नौजवानों का राज कायम कर सकें।
कार्यक्रम मैं मुख्य रूप से हरिप्रसाद, प्रभाव सिंह, लवली लोधी, दुष्यंत लोधी, मोरध्वज राजपूत, नीतेश, राकेश, विष्णु लोधी, दीपक, मुकेश, लोकेश, दिनेश, जीतेन्द्र,राजवीर आदि उपस्थित रहे। Mansingh Rajput