गुरूदेव ही कराते हैं गोविन्द की प्राप्ति-पं. रविकृष्ण शास्त्री

DSC00135विदिषा / स्थानीय मेघदूत टॉकीज में जारी श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिवस भागवताचार्य पं रविकृष्ण शास्त्री ने एक ओर जहां भगवान श्रीकृष्ण और परमेश्वरी रूक्मणीजी के विवाह-दाम्पत्य पर अपनी कथा केन्द्रित रखी, वहीं दूसरी ओर गुरू महत्ता पर भी विशद प्रकाश डाला।
पं रविकृष्ण शास्त्री ने आज की कथा में सजल नयनों से अपने दिवंगत गुरूदेव वरिष्ठ धर्माधिकारी पं गोविन्दप्रसाद शास्त्रीजी का पावन स्मरण करते हुए कहा कि यह उन सद्गुरू की ही कृपा है कि मैं कथा वाचन कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि सद्गुरूदेव के श्रीचरणों में तो समस्त तीर्थधाम होते हैं। हमारी आध्यात्मिक मान्यतानुसार गुरूदेव तो गोविन्द से भी बडे होते हैं, क्योंकि उन्हीं की अनुकम्पा से गोविन्द की प्राप्ति होती है। फिर, मेरे गुरूदेव का तो नाम भी ’गोविन्द’’ ही था, इसलिए मेरे लिए तो वे गुरू और गोविन्द दोनों एक साथ हुए।
आज की कथा में श्री राधावल्लभ सम्प्रदाय भोपाल के श्री राधावल्लभ मंदिर के आचार्य पं भूपेशजी तथा भोपाल की प्रख्यात ज्योतिषाचार्य सुश्री चन्द्रा दीदी ने भी भाग लिया। आचार्यजी ने पं रविकृष्ण शास्त्री को भोपाल में कथा करने आमंत्रित किया। इस अवसर पर श्रीमती अमिता जडिया-श्यामसुन्दर जडिया ने राधा-कृष्ण स्वरूप में लीला का ऐसा भव्य मंचन-प्रदर्शन किया कि श्रद्धालु भाव-विभोर और अभिभूत हो उठे। इस अवसर पर जानी-मानी नन्हीं सी भजन गायिका कु. सौम्या शर्मा ने अपने भजनों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। पं रविकृष्ण शास्त्री ने समापन दिवस के ठीक एक दिन पूर्व की आज की कथा में बताया कि इस कथा के मुख्य आयोजनकर्ता मां सरस्वती मानस मण्डल तथा गौ-गोपाल सेवा समिति द्वारा लम्बे समय से निःशुल्क श्री सुन्दर काण्ड पाठ तथा भगवती जागरण की सेवाएं नगर तथा अन्यत्र निरंतर की जा रही है और उन्हीं के विशेष सौजन्य से यह कथा भी सम्भव हुई है।
कथा में पं. रविकृष्ण शास्त्री ने कहा कि भगवान तो कल्पना से भी परे हैं। जीवन मेेें परोपकार से बडा कोई धर्म नहीं होता। ‘‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई, पर पीडा सम नहीं अधमाई।’’ उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के महारास का श्रीमद् भागवत में 5 बार वर्णन आया है। इसीलिए उसे महारास पंचाध्याय भी कहा जाता है। यह महारास भगवान से भक्त के परम दिव्य मिलन का ही दूसरा नाम है। उन्होंने कहा कि महारास की महत्ता तो यह है कि भगवान श्री शिवशंकर ने नारी वेष धारण कर उसमें भाग लेकर अपने आपको कृतार्थ किया। उन्होंने कहा कि भगवान की प्राप्ति तो परम दुर्लभ परम मोक्ष्य-मुक्ति ही है, जिसकी सर्वोच्च कामना-याचना संसार का प्रत्येक प्राणी करता है।
आज समापन दिवस की कथा में 7 मई को स्थमन्तकमणि की कथा, नृंगराजा की कथा, सुदामा चरित्र हंसोपदेश, वर्णाश्रमधर्म निरूपण, भक्तियोग, कलियुगधर्म वर्णन, परीक्षित मोक्ष, श्रीमद् भागवत कथा की महिमा, पूजन शान्ति पाठ एवं प्रसादी वितरण होगा।

-अमिताभ शर्मा
मीडिया प्रभारी
मोबा. 98273-69848

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