हर्षवर्धन चाहते हैं स्कूलों में सेक्स एजुकेशन पर रोक लगे

Harshvardhanनई दिल्ली / एड्स को रोकने के लिए कॉन्डम से ज्यादा संबंधों में ईमानदारी को कारगर बताने की वजह से विवादों में आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने नया विवाद पैदा कर दिया है। उन्होंने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि स्कूलों में सेक्स एजुकेशन पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। दिल्ली के स्कूलों के लिए अपने ‘विजन डॉक्यूमेंट’ में हर्षवर्धन लिखते हैं तथाकथित सेक्स एजुकेशन को बैन कर देना चाहिए। वह आगे लिखते हैं कि पाठ्यक्रम में मूल्यों पर आधारित शिक्षा को शामिल किया जाना चाहिए और छात्रों को भारत के सांस्कृतिक संबंधों से परिचित कराने पर जोर देना चाहिए। फिलहाल अमेरिका में होने की वजह से हर्षवर्धन से उनके इस कॉमेंट पर प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी है। उनके ऑफिस की ओर से कहा गया कि यह मंत्री के निजी विचार हैं। बीजेपी के प्रवक्ता संजय कौल ने कहा कि सेक्स एजुकेशन को बैन करने के विषय पर पार्टी में कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इसलिए मैं इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकता। इससे पहले ‘न्यू यॉर्क टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में हर्षवर्धन ने कहा था, ‘वह चाहेंगे कि एचआईवी-एड्स पर काबू पाने के लिए ‘पति-पत्नी के बीच ईमानदार शारीरिक संबंधों’ को बढ़ावा दिया जाए, जो भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। कॉन्डम सुरक्षित सेक्स का भरोसा दिलाता है, लेकिन सबसे सुरक्षित सेक्स पार्टनर के साथ संबंधों की ईमानदारी में ही है। इलाज से अच्छा रोकथाम है।’
उनके इस बयान पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई थी, जिसके बाद हर्षवर्धन ने सफाई भी दी थी। उन्होंने कहा था, ‘एड्स नियंत्रण में कॉन्डम की भूमिका के बारे में मेरे बयान को मीडिया के एक वर्ग ने तोड़-मरोड़कर पेश किया है। मैं कॉन्डम के विरोधी नहीं हैं, लेकिन संबंधों में ईमानदारी की अपनी एक भूमिका है, जो एड्स का प्रसार रोकने में खासी कामयाब हो सकती है।’
उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘मीडिया के एक वर्ग की खबरों से ऐसा लग रहा है कि मुझे कॉन्डम की क्षमता पर भरोसा नहीं है या मुझे इससे कोई नैतिक समस्या है। हकीकत में ऐसा नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि कॉन्डम कई बार फट भी सकता है और एड्स के फैलने की वजह बन सकता है। इसलिए संबंधों में ईमानदारी और सेफ सेक्स एड्स को रोकने का एक अच्छा माध्यम हो सकता है।’

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