श्रीश्री 1008 सहस्त्र चंडी महायज्ञ में उमड रही भक्तों की भीड

धर्म गंगा में गोते लगा रहे श्रृद्धालू,संतों का मिल रहा आशीष 
Picture 592Picture 594दमोह / यज्ञ मंडप से निकलती ज्वालायें तथा मंत्रों से गुंजायमान होती नगर की गलियां तथा धर्म की गंगा में गोते लगाते श्रृद्धालू जी हां एैसा ही कुछ वातावरण इस समय नजर आ रहा है श्रीश्री सहस्त्र चण्डी 1008 महायज्ञ के धार्मिक आयोजन में जहां निरंतर भक्तों की भीड बढ रही है। विदित हो कि गत दिवस एक विशाल कलश यात्रा के साथ उक्त महायज्ञ का शुभारंभ स्थानीय धगट चौराहा पर हो चुका है जिसके प्रथम दिवस ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास की अध्यक्ष राष्ट्रीय संत जन्मेजय शरण जी महाराज,जगदगुरू स्वामी आत्मानंद महाराज,गणेशानंद जी पीठाधीश गजाननपीठ नासिक,महंत मंजुल दास बडा अस्थान अयोध्या एवं हनुमत शक्ति पीठ लखनऊ ने यज्ञ का शुभारंभ किया था। दस दिनों तक चलने वाले उक्त महायज्ञ में प्रतिदिन निर्धारित समय ब्रम्हमूर्हत से ही जप,पाठ का शुभारंभ हो जाता है। श्रीयंत्र के पूजन के पश्यात् प्रारंभ हुये उक्त सहस्त्र चंडी महायज्ञ में लगातार आहुतियों के साथ मंत्रों के उच्चारण से सम्पूर्ण क्षेत्र धर्म की गंगा में परिवर्तित हो चुका है। जिसमें गोते लगाने वाले भक्तों की संख्या हजारों में पहुंच रही है।
महायज्ञ के द्वितीय दिवस जन्मेजय शरण जी महाराज द्वारा सवा पांच किलो के पारद शिव लिंग का अभिषेक किया गया। इस अवसर पर सेवा परिवार के संयोजक पं.चन्द्रगोपाल पौराणिक द्वारा जहां पूजन सम्पन्न कराया तो वहीं उपस्थित अनगिनित विप्रों ने एक साथ रूद्री पाठ कर सम्पूर्ण परिसर को गुंजायमान करते हुये धर्ममय महौल बना दिया। शिवलिंग का अभिषेक गन्ने के रस से किया गया। धार्मिक मान्यता के अनुसार धनधान्य की प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से अभिषेक करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। मीडिया प्रभारी पं.डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव ने बतलाया कि उक्त आयोजन 54 विप्र सम्पन्न करा रहे हैं। जिसमें पं.श्रीराम पौराणिक आचार्य,पं.पतिराम तिवारी ब्रम्हा के दायित्व को निभा रहे हैं। जबकि दूसरी ओर 32 विप्र पाठ कर रहे हैं,11 जप,एवं 09 मंडप एवं अन्य व्यवस्थाओं में योगदान दे रहे है। परिसर को राजा अग्रवाल द्वारा प्रदान किया गया है जबकि 100 यज्ञमान इसमें बनाये गये हैं। सेवाभाव परिवार ने समस्त भक्त जनों से आग्रह किया है कि वह धार्मिक कार्यक्रम में उपस्थित होकर धर्मलाभ लेवें।
Dr.Laxmi Narayan Vaishnava

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