मध्यप्रदेष : दलित अधिकार दस्तक अभियान आज से

IMG_20141205_120132प्रदेश में आज भी दलितों के साथ अलग-अलग स्तरों पर गंभीर रूप से भेदभाव किया जा रहा है। कई मामले में उन्हें इतना प्रताडि़त किया जाता है कि उनकी जान चली जाती है या फिर वे आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। आज भी किसी गांव में दलित का मोहल्ला गांव के बीच में नहीं है। दलित जाति के शिक्षक को गांव में किराए का मकान दलितों के मोहल्ले में ही मिलते हैं। दलित महिलाओं द्वारा बनाए गए भोजन को ऊंची जाति के बच्चे नहीं खाते हैं। मंदिर में प्रवेश से रोक, गांव से बहिष्कार और सामुदायिक जल स्रोत से पानी लेने पर रोक आम बात है। यह बात आज पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डाॅ. अंबेडकर सामाजिक न्याय केंद्र के राज्य समन्वयक सुंदर सिंह खडसे ने कही।
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के 2013 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में अनुसूचित जाति के लोगो पर होने वाले अपराध के हर दिन 8 मामले दर्ज हुए हैं। इन आंकड़ो का विश्लेषण करने से पता चलता है कि 2013 में अनुसूचित जाति के लोगो पर होने वाले अपराधो में देश में मध्यप्रदेश पांचवें स्थान पर है। यहां 2013 में दलितों के खिलाफ 2945 अपराध दर्ज हुए हैं।
डाॅ. अंबेडकर सामाजिक न्याय केंद्र, भोपाल द्वारा मध्यप्रदेष में दलितों की स्थिति पर हाल ही में कराए गए अध्ययन ‘‘जीने के अधिकार पर काबिज छुआछूत’’ की रिपोर्ट को साझा की गई एवं केन्द्र द्वारा पिछले दिनों विभिन्न संभागों के 30 गांवों को लेकर अध्ययन कराया गया है। सभी गांवों में 70 प्रकार के छुआछूत का सामना दलितों को करना पड़ रहा है। दलितों को पानी एवं खाना नहीं छूने देना और दलितों के नाम को बिगाड़कर बोलना सभी गांवों में प्रचलित है। 80 फीसदी गांवों में दलितों का मंदिर में प्रवेश पर रोक है। दलितों के बाल एवं दाढ़ी गैर दलित नहीं बनाते। 50 फीसदी गांवों में दलित अपने बच्चों का आधुनिक नाम तक नहीं रख पाते और यदि रखते हैं, तो उनकी पिटाई की जाती है। बुंदेलखंड क्षेत्र में 52 प्रकार, चंबल में 49 प्रकार, निमाड़ में 41 प्रकार, बघेलखंड में 38 प्रकार और महाकौशल में 17 प्रकार की छुआछूत दलितों के साथ होती है। 80 फीसदी परिवारों का कहना है कि स्कूल में उनके बच्चों के साथ भेदभाव किया जाता है। (विस्तृत रिपोर्ट का संक्षिप्त प्रारुप संलग्न है।)
दिनांक 6 दिसंबर का दिन दलित अधिकार पर कार्यरत संस्थाओं, बुद्धिजीवियों एवं मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन भारतीय संविधान के निर्माता एवं दलित अधिकार के प्रबल समर्थक डाॅ. भीमराव अंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है। इस दिन से 10 दिसंबर मानव अधिकार दिवस तक डाॅ0 अम्बेडकर सामाजिक न्याय केन्द्र (दलित अधिकार अभियान के द्वारा) द्वारा ‘‘दलित अधिकार दस्तक अभियान’’ चलाया जाएगा। अभियान के तहत दलितों खिलाफ हिंसा रोकने, न्याय करने एवं मुद्दों से अवगत कराने एवं अध्ययन रिपोर्ट को साझा करने के लिए मुख्यमंत्री सहित विभिन्न मंत्रियों, आयोग के अध्यक्षों, विधायको, अधिकारियों के यहां दस्तक दी जाएगी। समुदाय को जागरूक करने के लिए समुदाय के बीच भी दस्तक दिया जाएगा। अभियान के अंतिम दिन 10 दिसंबर को बोर्ड आॅफिस चैराहे पवर मानव अधिकार प्रदर्षनी के साथ अभियान का समापन किया जाएगा।
अजय सहारे, कार्यक्रम समन्वयक, डाॅ. अंबेडकर सामाजिक न्याय केंद्र, भोपाल
मोबाइल – 9755575963

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