बड बोले बयानों से परेशान मोदी ने दी पद छोडनें की धमकी

Narendra modi 04नई दिल्ली / हिंदुत्व और धर्मांतरण समेत विभिन्न मसलों पर विवादित बयानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतने आहत हो गए कि पद छोड़ने की अप्रत्यक्ष धमकी दे दी। उन्होंने संघ नेताओं के साथ बैठक में नाराजगी जताते हुए यहां तक कह दिया कि मुझे पद का मोह नहीं है। इसके बाद ही संघ ने सरकार को ऐसे नेताओं और हिंदू संगठनों से सख्ती करने का ग्रीन सिग्नल दे दिया।
राजस्थान के बीजेपी विधायक प्रह्लाद गुंजल को मोदी के सस्पेंड करने के आदेश के बाद यह माना जा रहा है कि मोदी ने इस तरह का आदेश देकर बड़बोले नेताओं को साफ संदेश दिया है। इससे पहले बीजेपी और संघ नेताओं के बीच इस तरह के बयानों को लेकर बातचीत भी हुई है।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीते दो दिनों से न सिर्फ पार्टी नेताओं और संघ के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई, बल्कि प्रधानमंत्री ने भी संघ के नेताओं को बताया है कि किस तरह से इस तरह के बयानों की वजह से सरकार की छवि खराब हो रही है। बीजेपी का तर्क है कि यह सरकार गवर्नेंस के मुद्दे पर चुनकर आई है और इस तरह की बयानबाजी से मोदी सरकार की कट्टर छवि बनने का खतरा है।
सूत्रों के मुताबिक हालांकि मंगलवार को पार्टी की संसदीय दल की बैठक में भी मोदी ने कड़े शब्दों में इस तरह के बयानों से बचने के लिए कहा था लेकिन उसके फौरन बाद ही आदित्यनाथ ने फिर विवादित बयान दे दिया था। इसके बाद फिर से संघ नेताओं से बातचीत की गई। इसके बाद से अब बयानबाजी बंद हुई है। पार्टी नेताओं का कहना है कि संघ को यह बताया गया है कि अगर इसी तरह से विवाद चले तो 2017 का यूपी का मिशन फेल हो सकता है। इससे संघ की योजना को भी धक्का लगेगा।
उधर, संघ के सूत्रों का कहना है कि संघ के सीनियर नेताओं की तरफ से भी उसकी विभिन्न शाखाओं के प्रमुखों को संदेश दिया गया है कि वे जल्दबाजी न करें। इससे यह संदेश जा रहा है कि मोदी सरकार के सत्ता में आते ही संघ का कब्जा हो रहा है। ऐसे में संघ की छवि भी प्रभावित हो रही है। बीजेपी के एक नेता के मुताबिक उस संदेश के बाद ही घर वापसी जैसे कार्यक्रमों को टाला गया है।
पार्टी के एक सीनियर लीडर के मुताबिक बदसलूकी और असंयमित भाषा के इस्तेमाल को लेकर जिस तरह से मोदी ने राजस्थान के विधायक प्रह्लाद गुंजल के खिलाफ सख्ती दिखाई है, उसके जरिए बीजेपी के बड़बोले नेताओं को संदेश दिया गया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दरअसल, यूपी के बड़बोले नेताओं के खिलाफ ही कार्रवाई की जाती तो इससे यह संदेश जाता कि पिछड़े वर्ग से आने वाले नेताओं पर मोदी कार्रवाई कर रहे हैं। लेकिन अब गुंजल के मामले से यह मेसेज देने की कोशिश की गई है कि अगर बड़बोलापन दिखाया गया तो कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

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