अब यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार को घेरा

yashvantपुणे / बीजेपी के सीनियर नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार द्वारा योजना आयोग को खत्म करने के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इससे राज्यों को फंड देने में दिक्कत होगी। शनिवार को पुणे इंटरनैशनल सेंटर की तरफ से आयोजित एक प्रोग्राम में सिन्हा ने कहा, ‘योजना आयोग खत्म करने से योजनागत और गैर-योजनागत पर आने वाले खर्च का वितरण भी प्रभावित होगा। हालांकि योजना आयोग खत्म कर दिया गया है पर फंड वितरण में राज्य जुड़े हुए हैं।’
देश में नीति निर्माण में राजनीति पर बात करते हुए सिन्हा ने कहा कि चुनावी वादे बहुत सोच समझकर नहीं किए गए थे। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने लोकसभा क्षेत्र में चुनावी कैंपेन कर रहा था तभी मेरी कार कच्ची सड़क में फंस गई। मेरी सलाह के बाद प्रधानमंत्री ने ग्रामीण इलाकों में सड़क बनाने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जमीन पर उतारी।
सिन्हा ने कहा कि भारत में नीति निर्माण मुख्यतः ऐड हॉक और एकपक्षीय तरीके से हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य में जबर्दस्त साझेदारी की जरूरत है। इसके साथ ही पूर्व वित्त मंत्री ने लोकल बॉडी को सशक्त करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी संस्थाओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए। सिन्हा ने कहा कि 1991 में देश में हुए आर्थिक सुधार नीति निर्माण के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हुआ था। सिन्हा ने कहा कि पूर्ववर्ती एनडीए सरकार ने जो परमाणु नीति अपनाई वह देश के नीति निर्माण में दूसरा सबसे अहम मोड़ है।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘1991 का आर्थिक सुधार गेम चेंजर था। ऐसा भारत को न चाहते भी करना पड़ा क्योंकि देश में 15 दिनों से ज्यादा के लिए विदेशी मुद्रा भंडार नहीं था।’
सिन्हा ने उस प्रवृत्ति की ओर इशारा किया कि जब लोग सत्ता में होते हैं तो नीतियों का समर्थन करते हैं और जब विपक्ष में होते हैं तो विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं मंत्री था तब भी ऐसा ही होता था। उन्होंने कहा, ‘जब मैं मंत्री था तब 26 पर्सेंट एफडीआई का प्रस्ताव रखा था। तब कांग्रेस विपक्ष में थी और उसने कहा था कि आप आश्वासन दीजिए कि 26 पर्सेंट से आगे नहीं जाएंगे। पांच साल बाद जब पी. चिदंबरम कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री मंत्री बने तो उन्होंने एफडीआई 49 पर्सेंट करने का प्रस्ताव रखा।

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