केंद्र से अपनी लड़ाई में खुद को मजबूत करने की कोशिश में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का दरवाजा खटखटा रहे हैं। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सदन में मोदी सरकार को मजबूती से घेरा जाए, इसके लिए केजरीवाल कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहे।
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा है कि केजरीवाल कुछ गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों के संपर्क में हैं। सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भरोसा दिलाया है कि इस मुद्दे पर उनकी पार्टी के सांसद सदन में आम आदमी पार्टी का समर्थन करेंगे।
दरअसल, केजरीवाल ज्यादा से ज्यादा गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों का समर्थन हासिल करने के लिए केंद्र से अपनी लड़ाई को ‘देश के संघीय ढांचे पर प्रहार’ का रूप दे रहे हैं। मुख्यमंत्रियों से बातचीत में वह उन्हें भय दिखा रहे हैं कि अगर इसका जबरदस्त विरोध नहीं किया गया तो आगे जाकर इसे दूसरे राज्यों में भी दोहराया जा सकता है।
केजरीवाल के लिए राहत की बात यह है कि कुछ दिनों पहले ममता बनर्जी ने ट्वीट कर दिल्ली के शासन में केंद्र के हस्तक्षेप का विरोध किया था। अपने ट्वीट में ममता ने कहा, ‘संघीय ढांचे में बहुत ज्यादा हस्तक्षेप अस्वीकार है। राज्य सरकार जनता द्वारा चुनी गई है।’ ममता से टेलिफोन पर बातचीत की खबरों के बीच केजरीवाल ने इस ट्वीट को रिट्वीट भी किया।
उधर, नीतीश कुमार पहले भी केजरीवाल के साथ अपने कॉमन राइवल बीजेपी का विरोध कर चुके हैं। मार्च महीने में दिल्ली में आप की अप्रत्याशित जीत के लिए नीतीश ने केजरीवाल से मिलकर उन्हें शुभकामना दी थीं। आप के सूत्र बताते हैं कि उन्हें कांग्रेस से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है, क्योंकि इन दिनों पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार के खिलाफ बेहद आक्रामक मुद्रा में हैं।
हालांकि, यह भी सच है कि कांग्रेस ने दिल्ली में सांवैधानिक संकट पैदा करने के लिए आप और बीजेपी, दोनों की आलोचना की है। लेकिन, राहत की बात यह है कि पार्टी की दिल्ली इकाई ने एलजी से झगड़े में केजरीवाल का साथ दिया है। केजरीवाल का आरोप है कि चुनाव मैदान में मुंह की खाने के बाद बीजेपी दिल्ली पर अब एलजी के जरिए अप्रत्यक्ष शासन करना चाहती है।