विदिषा / विष्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सामाजिक संस्था अजन्ता ललित कला एवं समाज कल्याण समिति द्वारा आयोजित एक कार्यषाला में संस्था की अध्यक्ष श्रीमती इन्दिरा शर्मा ने कहा कि आज के भौतिकवाद और विकास की अंधी दौड़ में हम स्वस्थ्य पर्यावरण का नुकसान कर रहे हैं। प्रकृति से खिलवाड़ करते हुए आरसीसी के वेतहासा निर्माण को विकास कहते हैं, जो विनाष का भी पर्याय है। वृक्षों की भारी कटाई, नदियों के निारे ईट भट्टों और आवासों के निर्माण कर पर्यावरण चेतना को शून्य कर रहे हैं। इस अवसर पर संस्था के सचिव अधिवक्ता कृष्ण बल्देव भट्ट ने प्राकृतिक वातावरण के दिली सुकून का अनुभव कराते हुए कहा कि हर विषम परिस्थिति में प्रकृति की गोद में इंसान अपने आपको तरोताजा महसूस करता है। हमें प्रकृति के गगनभेदी रहस्यों को आत्मसात करना होगा। वहीं पर्यावरण विद कृषि विषेषज्ञ जयप्रकाष शर्मा ने कहा कि देष का पर्यावरण सही तौर पर गांव में पलता है, इसीलिए देष के सबसे बड़े चिपको आंदोलन में महिलाओं की अग्रणी भूमिका रही। महिलाएं आज भी स्वस्थ्य पर्यावरण की संवाहक है। आज यदि देष की सभी आधुनिक महिलाएं एक साथ हो जाएं तो भारत के समृद्ध पर्यावरण की नई परिभाषा गढ़ सकती है। इस अवसर पर संस्था के कलाकार मनोज नामदेव एवं नटराज कला मण्डल ने पर्यावरण संरक्षण गीत की प्रस्तुति की। आभार अनुरोध राय ने व्यक्त किया।
कृष्णबल्देव भट्ट
सचिव
श्री हरि वृ़़द्धाश्रम विदिषा