खफा जेठमलानी ने मोदी से तोड़ा नाता

ram-jethmalaniनई दिल्ली। वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के पद पर केवी चौधरी की नियुक्ति की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाता तोड़ने का एलान कर दिया है।
नाराज जेठमलानी ने मोदी को लिखा कि आपके लिए मेरा कम होता सम्मान आज समाप्त हो गया। जेठमलानी ने कहा कि अब वे सुप्रीम कोर्ट और जनता की अदालत में सरकार से लड़ेंगे।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासित सांसद जेठमलानी को सीवीसी बनाए जाने के खिलाफ थे।
नौ माह बाद मिला सूचना आयोग को प्रमुख, विजय शर्मा होंगे नए सीआईसी प्रमुख
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) को आखिर नौ माह बाद इसका प्रमुख मिल गया है। सूचना आयुक्त विजय शर्मा ही इसके प्रमुख होंगे। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व प्रमुख केवी चौधरी मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) नियुक्त किए गए हैं। इंडियन बैंक के सीएमडी टीएम भसीन सतर्कता आयुक्त होंगे।
एक सप्ताह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की समिति ने इन नामों को मंजूरी दी थी। सोमवार को राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इनकी नियुक्तियों को मंजूरी दे दी।
परंपरा तोड़ी सरकार ने
चौधरी की नियुक्ति के साथ सरकार ने पहली बार परंपरा तोड़ी है। 1964 में बने सतर्कता आयोग के बाद से अभी तक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी को ही इसका प्रमुख बनाया जाता रहा है। चौधरी 1978 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस)]के पूर्व अधिकारी हैं। वे अक्टूबर में ही सीबीडीटी चेयरमैन पद से रिटायर हुए हैं। अभी वे कालाधन रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त विशेषष जांच दल के सलाहकार हैं। चौधरी और भसीन की नियुक्ति चार साल के लिए है।
यहां परंपरा रखी कायम
केंद्रीय सूचना आयोग में सरकार ने मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) सबसे वरिष्ठ सूचना आयुक्त को ही बनाए जाने की परंपरा बनाए रखी है। पूर्व पर्यावरण सचिव विजय शर्मा 2012 से सूचना आयुक्त हैं। उनका कार्यकाल 1 दिसंबर तक रहेगा क्योंकि तब वे 65 साल के हो जाएंगे। 22 अगस्त 2014 को सीआईसी राजीव माथुर का कार्यकाल पूरा होने के बाद से ही यह पद खाली पड़ा था।
40 हजार से ज्यादा मामले लंबित
सीआईसी की नियुक्ति नहीं होने के कारण आयोग में 40 हजार 51 आवेदन लंबित पड़े हैं। इनमें 32,531 अपील और 7520 शिकायतें हैं। इनमें से 15,736 मुख्य सूचना आयुक्त की पीठ के समक्ष लंबित हैं।

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