मुंबई: सरकार ने साफ कर दिया है कि तीसरे चरण के शहरों में डिजिटल एड्रेसेबल सिस्टम (डैस) पर अमल की निर्धारित समय सीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। इधर इंटर-कनेक्ट समझौतों पर तेज़ी से हस्ताक्षर किए नहीं किए जा रहे हैं और सेट-टॉप बॉक्स (एसटीबी) लगाने का काम भी कछुआ चाल से चल रहा है। ऐसे में अगर मल्टी-सिस्टम ऑपरेटरों (एमएसओ) और लोकल केबल ऑपरेटरों (एलसीओ) को लग रहा है कि डैस के तीसरे चरण पर अमल की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2015 में ढील दे दी जाएगी तो वे एकदम गलत सोच रहे हैं। 17 अगस्त को ही सूचना व प्रसारण मंत्रालय के प्रतिनिधि ने 10वीं टास्क फोर्स की बैठक के दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि तीसरे चरण की समय सीमा किसी भी सूरत में नहीं बढ़ाई जाएगी। दरअसल, सूचना व प्रसारण मंत्रालय की संयुक्त सचिव आर जया ने इससे भी एक कदम आगे जाकर एमएसओ व एलसीओ के प्रतिनिधियों से कहा था कि वे कुछ लोगों से दिमाग से इस तरह की गलतफहमियां निकाल दें कि तीसरे और चौथे चरण की समय सीमा बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने उद्योग के प्रतिनिधियों से कहा कि इस मिथ्या सूचना को स्रोत पर ही खत्म कर दना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि ब्रॉडकास्टरों और एमएसओ के बीच कंटेंट सौदों के साथ-साथ एसटीबी लगाने की रफ्तार को बढ़ाना होगा। एमएसओ और एलसीओ के बीच भी इंटरकनेक्ट समझौतों पर दस्तखत किए जाने होंगे ताकि पहले व दूसरे चरण की तरह बाज़ार में पहले से एक्टिवेटेड एसटीबी न लगा दिए जाएं। चालू वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में राष्ट्रीय एमएसओ द्वारा लगाए गए एसटीबी की संख्या काफी कम रही है। हैथवे केबल एंड डेटाकॉम और सिटी केबल ने दोनों ने दो-दो लाख एसटीबी लगाए हैं, जबकि डेन नेटवर्क्स ने इस दौरान 1.85 लाख एसटीबी लगाए हैं। ब्रॉडकास्टरों और एमएसओ के बीच संपन्न हुए कंटेंट सौदे भी ज्यादा नहीं हैं। इससे पहले तीन ब्रॉडकास्टरों – स्टार इंडिया, मल्टी स्क्रीन मीडिया (एमएसएम) और टीवी18 ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) को सूचित किया था कि उन्हें एमएसओ से 55 अनुरोध मिले हैं और ऐसे दो एमएसओ के साथ उन्होंने व्यावसायिक सौदों पर हस्ताक्षर कर लिए हैं। 11 एमएसओ के साथ सौदे बातचीत के अग्रिम चरण में हैं। मालूम हो कि डैस के तीसरे चरण में देश के 29 राज्यों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 630 जिलों व 7709 शहरी इलाकों के 3 करोड़ 87 लाख 90,000 टेलिविजन घरों को कवर किया जाना है। आखिर उद्योग इसके लिए अब तक कितना तैयार है? डैस के लिए एमएसओ लाइसेंस की स्थिति टास्क फोर्स की 10वीं बैठक के दौरान, महाराष्ट्र केबल ऑपरेटर्स फेडरेशन (एमसीओएफ) के प्रतिनिधि ने बताया कि देश में 5000 हेडएंड मालिक हैं जो या तो एमएसओ हैं या अंतिम कड़ी के ऑपरेटर (एलएमओ) हैं। इन एमएसओ या एलएमओ में से कुछ ने पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था इसलिए उन्हें डर है कि एकबारगी समय सीमा समाप्त हो जाने पर उन इलाकों में प्रसारण के मामले में अंधेरा छा जाएगा। इस पर संयुक्त सचिव ने कहा कि एमएसओ पंजीकरण अभी भी खुला है और कोई भी इसके लिए आवेदन कर सकता है। उन्होंने बताया कि 349 एमएसओ पंजीकरण और 126 अनंतिम पंजीकरण अब तक दिए जा चुके हैं। प्रसारण के मामले में अंधेरे क्षेत्रों के बारे में आशंका के संबंध उन्होंने कहा कि राज्य के नोडल अधिकारी और ब्रॉडकास्टरों को इनकी पहचान करनी चाहिए। कंटेंट सौदे का मसला असम से एलसीओ एसोसिएशन के प्रतिनिधि ने बताया कि ब्रॉडकास्टर उन्हें कंटेंट उपलब्ध नहीं करा रहे हैं और यह कि किसी भी मुद्दे के लिए उन्हें टीडीसैट के समक्ष मामला दायर करने के लिए दिल्ली आना पड़ता है। ट्राई के प्रतिनिधि ने कहा कि विवाद के मामलों में टीडीसैट ही एकमात्र उचित मंच है। विनियमों से संबंधित मुद्दों के लिए, वे कोलकाता में ट्राई के क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। इंटरकनेक्ट समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने के बारे में, इंडसइंड मीडिया एंड कम्युनिकेशंस लिमिटेड के प्रतिनिधि ने कहा कि वे केबल के अलावा हेडएंड-इन-द-स्काई (हिट्स) मंच के माध्यम से डिस्ट्रीब्यूशन पर काम कर रहे हैं। वे ब्रॉडकास्टरों के साथ बातचीत के अंतिम चरण में हैं। इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) के प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि सौदे हो रहे हैं और समानांतर वार्ता भी हो रही है। गृह मंत्रालय की सुरक्षा मंज़ूरी का मुद्दा यह उल्लेख किया गया कि प्रसारण मंत्रालय, केंद्रीय गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंज़ूरी के बिना एमएसओ पंजीकरण जारी करने पर विचार कर रहा है। आईबीएफ प्रतिनिधि ने गृह मंत्रालय द्वारा दिए सुझाव के बारे में चिंता व्यक्त की। सूचना व प्रसारण के अतिरिक्त सचिव और टास्क फोर्स के चेयरमैन ने कहा कि एमएसओ को पंजीकरण देने में कानून और जांच की प्रक्रिया हर परिस्थिति में पूरी तरह से की जाएगी। स्थानीय एसटीबी की खरीदारी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरण मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीईएएमए) के प्रतिनिधि ने कहा कि उन्हें अब तक एमएसओ से एसटीबी के लिए कोई बड़ा आदेश नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि अगर समय सीमा तक वे कंडीशनल एक्सेस सिस्टम (कैस) के साथ एसटीबी चाहते हैं तो एमएसओ द्वारा ऑर्डर देने का अब यह अंतिम समय आ गया है। उत्तराखंड सरकार के प्रतिनिधि ने कहा कि राज्य में एमएसओ द्वारा पर्याप्त एसटीबी नहीं प्रदान किए गए हैं जिसके परिणामस्वरूप डिजिटलीकरण की धीमी प्रगति हो रही है। एसटीबी का मूल्य निर्धारण एसटीबी के मूल्य निर्धारण के बारे में सवाल उठाया गया। ट्राई प्रतिनिधि ने उल्लेख किया कि नियमों के अनुसार एमएसओ और एलसीओ को 1) किराया, 2) किस्त, 3) एकमुश्त खरीद, या ट्राई द्वारा निर्धारित मानक टैरिफ पैकेज के अनुसार किसी भी अन्य योजना पर उपभोक्ताओं को एसटीबी की पेशकश करनी होगी। इस मुद्दे पर कोई भी शिकायत ट्राई को संबोधित की जानी चाहिए। 12 क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा डैस की प्रगति पर निगरानी 17 अगस्त को आयोजित 10वीं टास्क फोर्स बैठक के दौरान जया ने कहा कि डिजिटलीकरण की प्रगति पर निगरानी और रिपोर्ट करने के लिए प्रत्येक राज्य में/केन्द्र शासित प्रदेशों में 12 क्षेत्रीय इकाइयों को स्थापित किया जा रहा है और इनका परिचालन अगले महीने से शुरू हो जाएगा। वर्कशॉप और जागरूकता अभियान जया ने 10वीं टास्क फोर्स की बैठक में जानकारी दी कि राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में से कुछ नोडल अधिकारियों के साथ मंत्रालय की ओर से चार क्षेत्रीय वर्कशॉप आयोजित किए गए। इन वर्कशॉप में राज्यों में केबल टीवी डिजिटलीकरण को लागू करने में उनकी भूमिका और ज़िम्मेदारियों के लिए उन्हें जागरूक बनाने की जानकारी दी गई। उन राज्यों के पंजीकृत एमएसओ को भी इन वर्कशॉप के लिए आमंत्रित किया गया है। एमएसओ ने बताया कि वे अपने स्थानीय चैनलों पर और पर्चे के माध्यम से डिजिटलीकरण का प्रचार कर जागरूकता अभियान कर रहे हैं। जया ने कहा कि प्रसारण मंत्रालय ने विभिन्न स्थानों में अगले डेढ़ महीने में सात क्षेत्रीय वर्कशॉप आयोजित करने की योजना बनाई है। प्रसारण मंत्रालय ने उत्तर-पूर्वी राज्यों के नोडल अधिकारियों और वहां परिचालन कर रहे पंजीकृत एमएसओ के साथ शिलांग में 21 अगस्त को एक वर्कशॉप का आयोजन किया था। जया ने ब्रॉडकास्टरों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों से कहा कि वे प्रचार और जागरूकता अभियान पर अपनी योजनाओं के बारे में टास्क फोर्स को सूचित करें। एसोचाम ने कुछ ब्रॉडकास्टरों के साथ सहयोग में, 450 शहरों, कस्बों, गांवों को कवर करने के लिए अगले महीने से एक ‘चेतना यात्रा’ की योजना बनाई है। डीटीएच ऑपरेटर के प्रतिनिधि ने कहा कि डीटीएच कंपनियां केबल टीवी डिजिटलीकरण के बारे में डीटीएच चैनलों पर मुफ्त प्रचार करने के लिए तैयार हैं। न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के प्रतिनिधि ने कहा कि ब्रॉडकास्टर वित्तीय बाधाओं का सामना कर रहे हैं। हालांकि, वे विज्ञापन स्पॉट तैयार करने और उन्हें कैरी करने के लिए राज़ी हैं। ट्राई ने अपनी वेबसाइट पर अनिवार्य डिजिटलीकरण पर एक विज्ञापन लगा रखा है। वह बहुत जल्द ही अखबारों में एक चौथाई पेज का प्रिंट विज्ञापन भी निकालेगा। विनियामक प्रत्येक क्षेत्र में प्रति तिमाही पांच उपभोक्ता आउटरीच कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। उनके अनुसार डिजिटलीकरण के बारे में जागरूकता आ रही है। ट्राई के प्रतिनिधि ने, प्रचार के लिए एमएसओ के साथ इस विज्ञापन को साझा करने का सुझाव रखा। आकाशवाणी और दूरदर्शन पिछले कुछ महीनों से अनिवार्य डिजिटलीकरण पर विज्ञापन प्रसारित कर रहे हैं। यह सुझाव भी दिया गया कि दूरदर्शन प्राइमटाइम में उसके लोकप्रिय क्षेत्रीय चैनलों पर स्थानीय भाषाओं में केबल डिजिटलीकरण पर वीडियो विज्ञापन प्रसारित करे। दूरदर्शन के प्रतिनिधि इसे लागू करने के लिए सहमत हो गए। जीटीपीएल के प्रतिनिधि ने बताया कि वे अपने स्थानीय चैनलों और सार्वजनिक समारोहों में स्क्रॉल के माध्यम से प्रचार अभियान कर रहे हैं। आईएमसीएल के प्रतिनिधि ने बताया कि उन्होंने इस अभियान के लिए लगभग 300 व्यक्तियों की एक टीम को तैनात किया है। पश्चिम बंगाल से एलसीओ एसोसिएशन के प्रतिनिधि ने कहा कि ट्राई द्वारा आयोजित उपभोक्ता आउटरीच कार्यक्रम से वे अनजान थे। यह सुझाव दिया गया कि सदस्यों को नियमित रूप से केबल डिजिटाइजेशन के बारे में सभी तरह की जानकारी के लिए प्रसारण मंत्रालय और ट्राई की वेबसाइटों को देखते रहना चाहिए। बैठक का समापन करते हुए चेयरमैन ने हितधारकों को याद दिलाया कि वे डिजिटलीकरण की अपेक्षित प्रगति के लिए और लक्ष्यों को समय पर पूरा करना सुनिश्चित करने के लिए काम करे। उन्होंने ब्रॉडकास्टरों और एमएसओ को आह्वान किया कि वे डिजिटलीकरण के तीसरे चरण को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए देरी किए बिना इंटरकनेक्ट समझौते पर हस्ताक्षर करें।
