धूमधाम से मनाया स्वामी ब्रह्मानंद का जन्म दिवस

गोवध पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगाने की मांग की
swami brahmanand jiदिन षुक्रवार को देह्तोरा ग्राम मैं अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी एवं परिचय पत्रिका की ओर से अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी कार्यालय पर स्वामी ब्रह्मानंद जी का 121वां जन्मदिवस धूमधाम से मनाया। इस दौरान वक्ताओं ने उनके आदर्शो को अपनाने का आहवान किया।
समाज के लोग षुक्रवार को अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी कार्यालय पर एकत्र हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के सम्पादक मानसिंह राजपूत ने स्वामी ब्रह्मानंद जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित एवं माल्यार्पण कर किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद का व्यक्तित्व महान था। उन्होंने समाज सुधार के लिए काफी कार्य किए। देश की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने जहां स्वयं को समर्पित कर कई आंदोलनों में जेल काटी। आजादी के बाद देश की राजनीति में भी उनका भावी योगदान रहा है। उन्होंने सभी से उनके बताए मार्ग पर चलने का आहवान किया। इस अवसर पर सम्पादक मानसिंह राजपूत एडवोकेट ने प्रदेश सरकार से त्यागमूर्ति पूज्यवाद स्वामी ब्रह्मानंद पर डाक टिकट जारी करने की अपील की। और बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी का नाम स्वामी ब्रह्मानंद जी के नाम पर करने की मांग की। क्योंकि सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड में शिक्षा के क्षेत्र में जिसने सबसे ज्यादा काम किया है वो त्यागमूर्ति पूज्यवाद स्वामी ब्रह्मानंद जी ही थे।
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उपसम्पादक ब्रहमानंद राजपूत कहा कि स्वामी जी ने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही कार्य किए। समाज के लोगों को शिक्षा की ओर ध्यान देने का आहवान किया। स्वामी जी ने सम्पूर्ण बुन्देलखंड में शिक्षा की अलख जगाई आज भी उनके नाम से हमीरपुर में डिग्री कॉलेज चल रहा है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय स्वामी जी का नारा था उठो! वीरो उठो!! दासता की जंजीरों को तोड फेंको। उखाड़ फेंको इस शासन को एक साथ उठो आज भारत माता बलिदान चाहती है। उन्होने कहा था की दासता के जीवन से म्रत्यु कही श्रेयस्कर है। ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि स्वामीजी ने इस समाज के उत्थान के लिए अपना सारा जीवन अर्पित कर दिया। ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि कर्मयोगी शब्द का जीवंत उदाहरण यदि भारत में है तो उनका नाम अग्रिम पंक्ति में लिखा है। कहा कि कर्म को योग बनाने की कला स्वामी ब्रह्मानंद जी में थी। कहा कि स्वामी जी का वैराग्य नैसर्गिक था उनका वैराग्य स्वयं या अपने आप तक सीमित नहीं था। बल्कि उसका लाभ सारे समाज को मिला। ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद जी ने संसद में धार्मिक, वैज्ञानिक और आर्थिक आधार पर गोरक्षा कानून पर बल दिया था। इसलिये हम सरकार से मांग करते हैं कि धार्मिक दृष्टि से गाय इस देश के बहुसंख्यक वर्ग का पूज्य पशु है। उनकी भावनाओं का आदर करते हुए गोवध पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगाना चाहिए और गौ हत्या करने वालों को कडी से कडी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए।
पवन राजपूत ने अपने संबोधन में कहा कि हमें स्वामी ब्रहमानंद महाराज के पद चिंहों पर चलकर समाज को ऊंचा उठाना होगा। उन्होंने समाज के लोगों से कहा कि प्रत्येक गांव में स्वामी ब्रहमानंद महाराज की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए। कहा कि देश की संसद में स्वामीजी पहले वक्ता थे जिन्होने गौवंश की रक्षा और गौवध का विरोध करते हुए संसद में करीब एक घंटे तक अपना भाषण दिया था।
इस मौके पर अरब सिंह राजपूत, प्रभाव सिंह, दुष्यंत लोधी, मोरध्वज राजपूत, धारा राजपूत, पप्पू प्रधान, नीतेश, राकेश, विष्णु लोधी, दीपक, मुकेश, लोकेश, दिनेश, जीतेन्द्र, राजवीर, सोहन सिंह राजपूत, कांति प्रसाद, रोशन लाल, हरपाल सिंह, राजपाल सिंह, वेद प्रकाश, मोहर सिंह आदि उपस्थित रहे।

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