महंत हंसराम उदासी बने महामण्डलेष्वर

हुआ अवन्तिका नगरी माँ क्षिप्रा के तट पर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में पदोत्सव कार्यक्रम
शिव निन्दा करना व सुनने से पुण्यो का हृास — स्वामी ज्ञानानन्द तीर्थ

DSC_0380DSC_0339उज्जैन। हरीषेवा धाम उदासीन आश्रम भीलवाड़ा के महंत हंसराम उदासी अब विधिवत महामण्डलेष्वर बन गये है। पूर्ण महाकुम्भ सिंहस्थ 2016 के शुभअवसर पर अवन्तिका नगरी में माँ क्षिप्रा के पावन तट पर श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में समारोहपूर्वक पट्टाभिषेक पदोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ। प्रातःकाल में पूजन अर्चन हवन हुआ। कार्यक्रम में श्री सत् पंचपरमेष्वर के सान्निध्य एवं तेरह अखाड़ो के प्रतिनिधियो की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार केे बीच महंत हंसराम उदासी को तिलक कर चद्दर ओड़ाई गई। आषीर्वचन व उद्बोधन कार्यक्रम हुआ। धर्मध्वजा के समक्ष अरदास पश्चात् भण्डारा हुआ। इससे पूर्व प्रातः में हरिषेवा धाम छावनी बड़नगर रोड से हंसगंगा हरिषेवा भक्त मण्डल एवं श्रद्धालुगण जुलूस के रूप में महामण्डलेष्वर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रवान्ना हुआ, बैण्ड व ढ़ोल पर सभी नाचते व भजन करते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।
वक्ताओं ने आचार्य श्रीचन्द्र भगवान एवं उदासीन सम्प्रदाय के प्रचार प्रसारार्थ महंत हंसराम उदासी के कार्यो व सेवा प्रकल्पो को सराहा। इन्होंने अपना जीवन आचार्य श्रीचन्द्र के लिए समर्पित किया है एवं उनके सिद्धान्तो को देष-विदेष में फैलाया है। तथा गुरू दरबार व साधु समाज को ऊँचा उठाने का कार्य करने के लिए सदैव अग्रसर रहे है। महंत जी राष्ट्र, समाज, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते है।
राजस्थान धरोहर सरंक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री औंकार सिंह लखावत ने कहा कि बूढ़ा पुष्कर जो कि लुप्त होता रहा था, उसको पुनः तीर्थ स्थली एवं विकसित करने में इनकी महत्ती भूमिका रही है। संतो के आषीर्वाद से भारत निष्चित रूप से फिर विष्व गुरू बनेगा। उन्होंने बताया कि राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने भी महामण्डलेष्वर अभिषिक्त होने की बधाई प्रेषित की है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज ने कहा कि विभिन्न प्रकार के अमृत रूपी रस संतगण अवन्तिका नगरी में लूटा रहे है। महामण्डलेष्वर पद पर अभिषिक्त होकर वे आदर्ष प्ररेणा बनेगें।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेन्द्र गिरी ने कहाा कि समुद्र मंथन के बाद अमृत प्राप्त हुआ जिसके कारण महाकुम्भ होता है। इसी प्रकार मंथन करके ही महामण्डलेष्वर पद प्रदान किया गया है।
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघुमुनि जी ने अपने आषीर्वचन में कहा कि महंत हंसराम उदासी को महामण्डलेष्वर पद हेतु चयन किया जाना उनकी तप और साधना का ही फल है। संत सेवा एंव संत कृपा से ही यह संभव होता है। श्रीमहंत महेष्वरदास जी ने कहा कि सेवा, स्वाध्याय और सुमिरन का कार्य जो इनके आश्रम में होता है, उसे देख कर ही महामण्डलेष्वर पद दिया जाने का निर्णय अखाड़े ने लिया। इस मंथन को स्वीकार किया, जिसके लिए वे बधाई के पात्र है।
पट्टाभिषेक कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्ष्णि पीठाधीष्वर श्री गुरूषरणानन्द जी महाराज ने करते हुए कहा कि महामण्डलेष्वर वाणी से नही, आचरण से षिक्षा दे। कुम्भ महोत्सव के सुअवसर पर अमृत काल का निर्माण कर रहे है। अमृतोभवा भी है क्षिप्रा का नाम। इस मौके पर विषिष्ट महापुरूषो के दर्षन एक ही छत्र एवं एक ही आश्रम में होना बड़े सौभाग्य की बात है। महंत के गुणो से प्रभावित, सेवा प्रकल्प, नम्रता, साधु गुणो, सबको ऊँचा उठाने की भावना को देखते हुए इन्हें महामण्डलेष्वर पद दिया गया है।
इस अवसर पर विवेकानंद जी महाराज, हरिप्रकाष जी, जगतार मुनि जी, महंत दिव्याम्बर मुनि जी, महंत कपिल मुनि जी, महामण्डलेष्वर हरिचेतनानन्द जी, महामण्डलेष्वर शांतानन्द जी, महंत भगतराम जी, तपस्वी बाबा कल्याण दास जी, कोठारी मंहत मोहनदास जी, शरणानन्द जी, जगदीष दास जी, सुयज्ञमुनि, पंचमुखी दरबार के महंत लक्ष्मणदास जी त्यागी, महंत स्वरूपदास, स्वामी रामदास अजमेर, गणेषदास भीलवाड़ा, महंत आत्मदास उज्जैन, महंत संतोषदास इन्दौर, स्वामी मोहनदास, स्वामी माधवदास, स्वामी अनिल उदासी इन्दौर, नंदलाल फकीर भावनगर, महंत खिम्यादास, महंत ईष्वरदास, मंहत संतोषदास, महंत पुरूषौत्तमदास सतना, अमरलाल राजकोट, हंसदास रीवा, दौलतगिरी जी लुधियाना, संत मयाराम निवार्ण मण्डल एवं अन्य उपस्थित थे। राजस्थान सरकार के षिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल, इन्दौर विकास प्राधिकरण के सुरेष लालवानी, अजमेर उपमहापौर संपत सांखला, सिंधी समाज महासमिति के अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी, सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष नरेन शाहणी भगत, महासचिव गिरधर तेजवानी, भारतीय सिंधु सभा राजस्थान महासचिव महेन्द्र तीर्थाणी, मोहन तुलसियानी, ईसर भम्भाणी, जोधा टेकचंदानी, मनीष, प्रकाश सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
हरिषेवा धाम छावनी में नितनेम के अलावा श्री षिव महापुराण कथा युवाचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ (भानपुरा पीठ) ने अपनी मधुरवाणी में प्रस्तुत की। षिव पार्वती प्रसंग में उन्होंने व्याख्या की कि जो षिव निंदा करता है उसके संचित पुण्य नष्ट होकर नर्क में पड़ता है एवं षिव निदा सुनने वाला भी पापो का भागी होता है। सांयकाल में रासलीला का भी सभी धर्मप्रेमी बन्धुओं ने लाभ उठाया।

कंवल प्रकाश किशनानी
9829070059

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