अनुपे्रक्षा का चिन्त वन करने लगे जिनेश : डां. भारिल्ल

IMG-20160520-WA0032स्वर्ण जयंती शिविर मे प्रात: शिक्षण कक्षा श्री जी पूजन तीर्थकर विधान मे आज भगवान पाश्र्वनाथ भगवान की पूजन व विधान संपन्न हुआ। सुबह 8.30 से 9 बजे आध्यात्मिक सतपुरूष कानजी स्वामी के प्रवचन सी.डी. पर रोज चल रहे है।
शिविर में डां. हुकुमचंद भारिल्ल ने हिन्दी साहित्य की अमृत कृति , वैराग्य पर प्रवचन करते हुए कहा कि अनुप्रेक्षा का चिंतवन करने लगे, जिनेश राजकुमार नेमीनाथ के बरात में 56 ेग्रोत्रों के यादव आये थे। उनके स्वागत के लिए सड़कों पर रोकने के लिए बल्लियोंसे रोका गया। शाम के समय गाय और बछड़े एक दूसरे से मिलने के लिए रंमा रहे थे। उसी वक्त राजकुमार नेमिनाथ को पशु क्रंदन सुनकर संसार से बैराग्य हो गया व वे दीक्षा लेने वन की ओर चल दिए। इस प्रसंग का संक्षिप्त वर्णन किया।
प्रवक्ता डां.एमएल जैन ने बताया कि डां. भारिल्ल ने प्रवचनसार अनुशीलन पर बोलते हुए कहा कि ज्ञान ज्ञेय एक प्रकार से ज्ञान तत्व प्रज्ञापन दोनों में समेटै है। आत्मा ज्ञान भी है ज्ञेय भी है ज्ञान तत्व मात्र अपना आत्मा ही है, शेष से सारा जगत जिसमें आत्मा भी शामिल है,मात्र ज्ञेय तत्व ही है।
सम्यक दर्शन और सम्यक ज्ञान की प्राप्ति के लिए ज्ञान तत्व और ज्ञेय तत्व को जानने के साथ साथ ज्ञान तत्व व ज्ञेय तत्व में भेद जानना भी अधिकार में है। पूर्व में पं. अभय कुमार शास्त्री देवलाली, कुं. प्रज्ञा जैन ने वैराग्य के 9-10 वे भाग का सुमधुर वाचन किया। शिविर प्रनेता बाल ब्रं. सुमत प्रकाश जी के प्रवचन सुबह पांच सम्वाय व रात्रि में ज्ञान स्वभाव पर प्रतिदिन प्रवचन चल रहे है। टोडरमल स्मारक के पं. शांति कुमार जी पाटिल ने बताया कि सभी प्रशिक्षार्थियों की परीक्षाएं 31 मई को होगी। परिणाम शिविर के अंतिम दिन घोषित होगें।
प्रवक्ता
डां. एम.एल.जैन,
लोहा बाजार , विदिशा

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