सडक पर हिचकोले खाने का लग रहा टेक्स

दमोह-जबलपुर सडक मार्ग की स्थिति दयनीय हजारों गढ्ढे
डा.एल.एन.वैष्णव

2दमोह/ सडक पर चलने नहीं हिचकोले खाने का टेक्स लोगों को देना पड रहा एैसा कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जी हां यह वह सच्चाई है जिसको देखने के लिये अधिकारियों,जनप्रतिनिधियों की आंखे बंद हो जाती हैं। और बेचारी जनता इस हजारों गढ्ढों वाली सडक दमोह-जबलपुर मार्ग पर टेक्स देकर चलने को मजबूर हैं। महिनों से बने इस हालात के पीछे कंपनी एवं संबधित विभाग के अपने तर्क हैं। कागजों में पूरी तरह बनी दिखलायी देने वाली सडक की जमीनी हकीकत स्वयं देखी जा सकती है जो शायद संबधित विभाग एवं अधिकारियों जनप्रतिनिधियों को तो बिलकुल ही शायद दिखलायी नहीं देती। जानकारों की माने तो हाईवे पर निर्धारित संकेत,बस स्टाप,यात्री प्रतिक्षालय,टोल प्लाजा पर टायलेट जैसी सुविधाओं का होना अति आवश्यक है। पर यह जमीन में पूरे लगभग सौ किलोमीटर के मार्ग में कहीं भी दिखलायी नहीं देते। यात्रा के दौरान यात्रियों को कितनी परेशानी होती है उनके वाहन में कितनी टूट फूट होती है वह स्वयं अपना दर्द बतलाते देखे जा सकते हैं।
नजर नहीं या अनदेखी?-
उक्त सडक मार्ग पर लगातार कई बर्षो से टोल टेक्स लिया जा रहा है परन्तु सडक निर्माण में होने वाले मानकों एवं सुविधाओं के नाम पर होने वाली अनदेखी को लेकर लगातार प्रश्न चिंह उठते रहे हैं? ज्ञात हो कि यह मार्ग मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय को जोडता है तथा स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिये जाने वाले मेडीकल कॉलेज जबलपुर एवं नागपुर जाने आने के लिये भी प्रयोग होता है। निर्माण में नोहटा का पुल की बात करें या फिर बिना बस स्टाप,बस ले,ट्रक ले एवं संकेतों की तो क्या स्थिति है सर्वविदित है? यहां महत्वपूर्ण बात जो उभर कर सामने आती है वह यह है कि इस मार्ग पर लगातार न्यायाधीशों,जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों का लगातार आना जाना रहता है परन्तु अनदेखी करना विभिन्न प्रकार के प्रश्रों को उपजाता है? यह बात अलग है कि उनको टोल पर शासकीय नियमों में छूट होती है परन्तु भ्रष्ट्राचार,अनिमिता या फिर जनता को होने वाले कष्ट्रों को लेकर कार्यवाही करने की जबाबदारी भी इन्ही की होती है? महिनों नहीं अपितु बर्षो से सुविधाओं को जनता को न मिलने तथा जमीनी स्तर पर अपूर्ण मार्ग एवं महिनों से गढ्ढों में तब्दील मार्ग का टेक्स लेना कहां तक उचित है? क्या यह सेवा में कमी अथवा चूक का मामला नहीं बनता जिसमें उक्त सभी जबाबदार दिखलायी देते हैं?

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