ग्रामीण विकास संघर्ष समिति ने सुनी किसानों की समस्याएं

aagra newsआगरा। ग्रामीण विकास संघर्ष समिति ने सोमवार को फतेहपुर सीकरी के कई गाँवों रसूलपुर, जैनपुरा, पतसाल में दौरा कर किसानों की समस्याओं को जाना और उनकी समस्याओं को सुना।
ग्रामीण विकास संघर्ष समिति के सदस्य किसान के बेटे चन्द्रवीर राजपूत कहा कि आज के समय में किसानों की दीन-दशा बहुत खराब हो गयी है। किसान प्राक्रतिक आपदाओं के कारण फसल नष्ट होने पर आत्म हत्या करने पर मजबूर हो गया है। क्योंकि उसने खेती करने के लिए जो कर्ज लिया था वो उसे चुका नहीं पा रहा है। और प्रदेश सरकार द्वारा कोई मुआवजा भी नही मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यदि किसानों ने खेती करना छोड़ दिया तो तपस्वियों का तप, उधोगपतियों के कारखाने , नेताओं के भाषण और देश का विकास सब रखे की रखे रह जायेंगे। उन्होने कहा कि 2008 में सरकारी कर्मचारी का वेतन 25000 रुपये 2016 में 50000 रुपये प्रतिमाह है बल्कि किसान के गेंहूँ की कीमत 2008 में 1100 रुपये और 2016 में 1500 रुपये हुई है। दूसरी और कीटनाशक के दाम डबल कर दिये हैं। डी ए पी 2008 में 550 रुपये 2016 में 1200 रुपये सब डबल कर दिया है तो किसानों की आय डबल क्यों नही। चन्द्रवीर राजपूत ने ग्रामीण विकास संघर्ष समिति कि और से केंद्र और राज्य सरकार से माँग करते हुए कहा की सरकार को किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं से नष्ट हुयी फसलों का मुआवजा दिया जाये। उन्होंने मांग की कि किसानों को सिंचाई के लिये बिजली पानी की सुविधाएँ निःशुल्क दी जायें और जो खाद्य सामग्री कृषि उपज हेतु सरकारी दुकानों पर उचित रेट पर दी जाती है उस पर ५० प्रतिशत सब्सडी दी जाए।
ग्रामीण विकास संघर्ष समिति के सदस्य ब्रह्मानंद राजपूत ने कहा कि देश की 70 फीसदी आबादी गांवों में रहती है और कृषि पर ही निर्भर है। ऐसे में किसानों की खुशहाली की बात सभी करते हैं और उनके लिए योजनाएं भी बनाते हैं किंतु उनकी मूलभूत समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। हमारे देश में कृषि शिक्षा के विश्वविद्यालय और कॉलेज नाम-मात्र के हैं, उनमें भी गुणवत्तापरक शिक्षा का अभाव है। भूमंडलीकरण के दौर में कृषि पर आधुनिक तकनीकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के माध्यम से जो इस देश में आती हैं उसे कृषि का प्रचार-प्रसार तंत्र उन किसानों तक पहुंचाने में लाचार नजर आता है, यह गंभीर और विचारणीय विषय है। इसलिए सबसे पहले सरकार को किसानों के लिए कृषि शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक जागरूक किसान को खेती की सुरक्षा के लिए फसल बीमा एवं स्वयं की सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत एक्सीडेंडेटल बीमा, स्वास्थ्य बीमा करवाना चाहिए। सॉईल हेल्थ कार्ड के जरिए अपनी भूमि का परीक्षण कराना चाहिए। उन्होने किसानों से कृषि क्षेत्र में मिट्टी की सेहत पर ध्यान देने का आह्वान किया, ताकि उत्पादकता बढ़ाई जा सके और समृद्धि लाई जा सके। किसानों को समय के अनुकूल नई लाभकारी तकनीक को अवश्य अपनाना चाहिए। उन्होंने सरकार से अनाज और गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा की जब तक गांव समृद्ध नहीं होगा, तब भारत समृद्ध नहीं बनेगा। लेकिन, स्थिति यह कि आज भी देश के गरीब-अनपढ़-ऋणग्रस्त-बेबस किसान मजबूर होकर आत्महत्या जैसे चरम कदम उठाने को मजबूर हैं। किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए सबसे बड़ी जरूरत है किसानों की कर्ज माफी की जाए जिससे की उनको आत्महत्या करने पर मजबूर न होना पड़े। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास संघर्ष समिति की टीम गांव-गांव जाकर किसानों को जगाएगी। और सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के प्रति जागरूक करेगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास संघर्ष समिति जो चन्द्रवीर राजपूत ने माँगे रखी हैं उनको लेकर किसानों के साथ मिलकर उनकी समस्याओं के निवारण के लिये ग्रामीण विकास संघर्ष समिति किसानों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर जन-आंदोलन करेगी।
किसानों की समस्याएं जानने वालों में प्रमुख रुप से डॉ. सुनील राजपूत, विष्णु मुखिया, उमेश राजपूत, अजय चैधरी, जीतू राजपूत, रजत लोधी, संतोष, नीनुआ खाँ, रामबाबू, हेमेंद्र सिंह, शिवा बघेल, गौरव, यशपाल, किसान केशव सिंह लोधी, शिवचंद लोधी, ओमप्रकाश, भगवान सिंह आदि लोग मौजूद रहे ।

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