दिल्ली साहित्यिक विरासत उत्सव 9 और 10 दिसम्बर से शुरू

लाइब्रेरी के सुनहरे भविष्य लिए यह कार्यक्रम के मिल का पत्थर साबित होगा। शोभा विजेंदर

2वैसे तो पुरानी दिल्ली अपनी सांस्क्रतिक धरोहर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है यहाँ पर बहुत सारी ऐतहासिक इमारतें है जिनसे हर व्यक्ति भली भांति परिचित है। लेकिन कुछ इमारतें ऐसी भी है जो ऐतिहासिक होने के साथ साथ समाज को जोड़ने, शिक्षित और आगे बढ़ाने का कार्य कई दशकों से कर रही है। ऐसी ही पुरानी दिल्ली चाँदनी चौक इलाके में एक ईमारत है जो अपने इतिहास के 150 पुरे कर रही है जिसका नाम है हरदयाल म्युनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी यह इस लाइब्रेरी की स्थापना 1862 में की गई। इसको समय समय पर अलग अलग नामो से जाना गया। इसी को ध्यान में रखते हुए हरदयाल म्युनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी की ओर से दिल्ली साहित्यिक विरासत उत्सव नामक दो दिवसीय कार्यकम आयोजित करने जा रहा है। यह कार्यक्रम 9 और 10 दिसम्बर को शांति देसाई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित किया जा रहा है। इसकी जानकारी आज एक प्रेस वार्ता के दौरान लाइब्रेरी की मेम्बर सेक्रेटरी शोभा विजेंदर ने दी उन्होंने बताया की लाइब्रेरी के सुनहरे भविष्य लिए यह कार्यक्रम के मिल का पत्थर साबित होगा। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में देश विदेश की करीब 300 लाइब्रेरीयों से प्रतिनिधि आ रहे है। उन्होंने बताया की 9 दिसम्बर को दिल और किताब नामक एक परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा और 10 दिसम्बर एक रॉक शो और कवि समेलन और मुशायरे का आयोजन भी किया जा रहा है। शोभा विजेंदर ने बताया की हरदयाल म्युनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी दिल्ली में करीब 90 शाखाएं है जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग आते है और यहाँ मौजूद पुस्तकों का लाभ उठाते है। आज कल के डिजिटिल वर्ल्ड को देखते हुए लाइब्रेरी को भी जल्द डिजिटिल बनांने का काम चल रहा है जिस न केवल देश के लोग इन पुस्तकों का फायदा उठा सके बल्कि विदेश में बैठे लोग भी अपनी सांस्क्रतिक विरासत को समझ और देख सके। लाइब्रेरी को वित्तय मदद की भी ज़रूरत है जिसमे करीब 50 लाख रुपए किताबो की देख-भाल के लिए 50 लाख लाइब्रेरी के डिजिटिकरण के लिए और 2 करोड़ लाइब्रेरी के नवीनीकरण के कार्य में लगेगा। हरदयाल म्युनिसिपल पब्लिक लाइब्रेरी आज तक एम.सी.डी के फंड से चल रही है पहले यह लोगों के चंदे से चलती थी। लाइब्रेरी में ऐसे दस्तावेज़ भी मौजूद है जो किसी भी सरकारी और गैर सरकारी विभागों के पास नहीं नहीं और यह दस्तावेज़ समय समय पर सरकार और समाज के काम आती है। प्रेस वार्ता के प्रराम्भ में अनमोल विरासत नामक एक शार्ट मूवी भी दिखाई गई जिसमें लाइब्रेरी का इतिहास दिखाया गया।

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