भारत प्रशासित कश्मीर में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तीन दिन की यात्रा से पहले सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए गए है.
राष्ट्रपति बनने के बाद ये उनकी पहली बार कश्मीर का यात्रा है. इस बीच गुरुवार को सशस्त्रबलों के कथित अत्याचार के खिलाफ चरमपंथी नेताओं, अलगाववादी समूहों, वकीलों और छात्रों ने बंद का आह्वान किया है.
हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति का कश्मीर के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च सैन्य और पुलिस अधिकारी स्वागत करेंगे.
गुरुवार को राज्य की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी में होने वाली सभा में वे बतौर अध्यक्ष होंगे और फिर बाद में वे प्रसिद्ध डल झील में नौकाविहार का आनंद लेंगे.
प्रतिबंधित छात्र संघ के प्रदर्शन के आह्वान पर सतर्क होकर पुलिस और सेना ने अपने खुफिया नेटवर्क को सतर्क कर लिया है.
अफजल गुरु की क्षमा याचिका स्वीकार करने के लिए 87 में से एक विधायक एक दिन का धरना देने की योजना बना रहे है.
नोटिस
13 दिसंबर 2001 में संसद पर हमले के मामले में मौत की सजा पा चुके अफजल गुरु की क्षमा याचिका राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है. ये याचिका उनकी पत्नी ने दायर की थी.
राज्यपाल ने कुलपति को ये नोटिस जारी करते हुए वे कहा है कि यूनिवर्सिटी में होने वाली सभा के दौरान राष्ट्र की उपस्थिति में राष्ट्रीय गान भी गाया जाएगा और ऐसे में वो ये सुनिश्चित करे कोई भी छात्र को राष्ट्र गान का अपमान न कर पाए.
यूनिवर्सिटी के उच्च अधिकारी ने बताया, ”कई बार ऐसा हुआ है कि छात्र राष्ट्रय गान के दौरान खड़े नहीं हुए और हमें शर्मिंदा होना पड़ा. हाल ही उप राष्ट्रपति भी यहां आए तो और हमें ऐसी ही स्थिति से गुजरना पड़ा था.”
यूनिवर्सिटी में होने वाली सभा के लिए आमंत्रण पत्रों को सीमित कर दिया गया है किसी भी छात्र कार्यकर्ता या अलगाववादी को कैंपस में गड़बड़ी न कर सके.
यूनिर्सिटी के आस-पास की बड़ी इमारतों पर शॉर्प शूटर को तैनात कर दिए गए हैं और छात्रों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है.
पुलिस सुत्रों का कहना है कि प्रशासन इंटरनेट और मोबाइल सेवा को भी जाम कर सकता है.
अलगाववादी समूहों, वकीलों और पाकिस्तान स्थित चरमपंथी नेताओं ने छात्र संघ की हड़ताल का समर्थन किया है.
छात्र संघ में शामिल एक छात्र ने अपनी पोस्ट पर लिखा है, ” राष्ट्रपति भारतीय सेना के सुप्रीम कमांडर है, वो सेना जिसने बिना किसी जवाबदेही के हमारे लोगों को मारा है, इसलिए हम उनका स्वागत नहीं कर सकते.”