छतरपुर – बुन्देलखण्ड के इतिहास में ऐसा पहलीबार कोई सामाजिक कार्यकर्ता निःस्वार्थ भाव से समाजसेवा के लिए तन-मन-धन से समर्पित भावना से भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों की रक्षा के लिए भारतीय संस्कृति की अलख जाने छतरपुर जिला के विभिन्न विकास खण्डों के एक सैकड़ा से अधिक षिक्षण संस्थानों मं जाकर एक साल से अधिक बच्चों से रू व रू होकर उन्हे अपने अनुभव और विचारों से प्रभावित कर संस्कारवान बनाने में लगाकार प्रयासरत है । टीकमगढ़ क्षेत्र के सांसद डॉ0 बीरेन्द्र खटीक जी, क्षेत्रीय विधायक श्री मानवेन्द्र सिंह जी, जिला पंचायत सदस्य , नगर पालिका अध्यक्ष, जनपद अध्यक्ष, सरपंचों सहित प्रत्येक षिक्षण संस्था के प्राचार्य एवं षिक्षक ने इस समाजसेवी के कार्यो की सराहना की साथ ही समाज का कर्मयोगी बताया । भारतीय संस्कृति की अलख जगाने वाले समाजसेवी संतोष गंगेले को जनप्रतिनिधिओं ने बधाई । उनका मध्य प्रदेष, उत्तर प्रदेष दिल्ली में अनेकों बार सम्मान हो चुका है ।
नौगॉव के इस सामाजिक कार्यकर्ता का नाम आज जन से अपरचित भी नही है नौगॉव कस्बा से लगा छोटा सा ग्राम बीरपुरा के साधारण ब्राम्हण किसान संत परिवार में 11 दिसम्बर 1956 को जन्म लेने वाले श्री संतोष गंगेले ने अपने कर्मयोग के माध्यम से स्वयं मेहनत कर षिक्षा ग्रहण की और अपने भाई बहनों को बराबर पर खड़ा करने में कोई कसर नही छोड़ी । बर्तमान युग में इस प्रकार की जुम्मेदारी का निर्वाहन करने वाले श्री संतोष गंगेले के पिता स्व0 श्री प्यारे लाल गंगेले और माता स्व0 श्रीमती सुमित्रा देवी गंगेले ने कभी नही सोचा होगा कि हम जिस मुष्बितों से अपनी संतान को अध्यन करा रहे है यह संतान समाज के लिए नजीर बनकर समाजसेवा करेगें । श्री संतोष गंगेले ने बचपन से परिवार की जुम्मेदारियों को संघर्ष पूर्ण स्वीकार करते हुऐ अपने परिवार के चरित्र की रक्षा कर नौगॉव सहित जिला और प्रदेष में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में आज उच्च स्थान प्राप्तकर लिया है जिस कारण प्रदेष के अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओ, स्वतंत्रता संग्राम सैनानी, क्षेत्रीय सांसद, विधायक, जन प्रतिनिधिओं, पत्रकार साथिओं , अधिकारियों ने श्री संतोष गंगेले के कार्यो खुले मन से सराहना की है ।
समाज के क्षेत्र में कार्य करने वालो को मंचों पर सम्मान करना, ईमानदारी अधिकारियों कर्मचारियों, जनप्रतिनिधिओं, पत्रकारेां को सम्मान करने वाले श्री संतोष गंगेले इन बिषयम और कठिन परिस्थितयों में अपना जीवन यापन करने के बाद अपना एक समाज में मुकाम बनाया । अनेक परिवारिक और कानूनी परेषानियों के बाद वह अपने सत्य के मार्ग पर डटे रहे जिसमें उन्हे सफलतायें मिली । इसी कारण छतरपुर जिला में बर्ष 19983 में पदस्थ जिला कलेक्टर श्री होषियार सिंह जी ने उन्हे तहसील में लेखक के रूप में बैठने के लिए अनुमति दी वही छतरपुर से प्रकाषित एक दैनिक अखबार में पत्रकारिता ष्षुरू करने वाले कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले ने अल्प समय में समाज में अपना उच्च स्थान बनाकर तहसील जिला , आस पास उदाहरण प्रस्तुत किया । समाजसेवी श्री संतोष गंगेले बर्ष 1986 से ग्रामीण क्षेत्रों में जन जाग्रति अभियान संचालित करते आ रहे है । बर्ष 1995 में छतरपुर जिला कलेक्टर श्री राधेष्याम जुलानिया जी ने उन्हे साक्षरता से जोड़ा बर्ष 2007 से वह लगातार नौगॉव जनपद क्षेत्र के ष्षासकीय स्कूलों में जाकर बच्चों को समय समय पर प्रोत्साहित करते रहे । लेकिन 1 जुलाई 2017 से वह नौगॉव जनपद सहित ईसानगर, छतरपुर, बिजावर, पलेरा, पृथ्वीपुर, जतारा, टीकमगढ़ के सैकड़ों ष्षासकीय गैर ष्षासकीय षिक्षण संस्थाओं में जाकर षिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, समरसता, समाज बिषय के साथ साथ स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान को गतिमान बनाये हुऐ है । समाजसेवी श्री संतोष गंगेले ने अपने बेटे का विवाह बिना दहेज कर समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है । ऐसे सामाजिक कार्यो की जन जाग्रति अभियान में उनकी इतनी अधिक रूचि है कि वह सुबह होते ही अपनी मोटर साईकिल से निकल जाते है साथ में बच्चों को प्रोत्साहन के लिए वह संस्था में कन्या पूजन , फूल मालाओं से सम्मान करना, उन्हे अपने विचारों से प्रभावित कर जीवन जीने की कला बताते है । बाद में उन्हे साहित्य और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करते है । आज छतरपुर जिला में उनकी लोकप्रियता और समाजसेवा आम खास व्यक्ति के दिलों में स्थान बना चुकी है ।