बुजुर्गों की सेवा-सुश्रुषा ईष्वर की पूजा-आराधना के समान

ashram 30-04-17विदिषा-30 अपै्रल 2017/गौ-रक्षा, व्यसन मुक्ति, पर्यावरण सरंक्षण, सर्वधर्म सद्भाव, अंहिसा तथा राष्ट्रीय एकता के सजग प्रहरी, क्रांतिकारी राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेषजी महाराज ने आज स्थानीय श्रीहरि वृद्धाश्रम पधारकर वृद्धजनों को आत्मीय मार्गदर्षन दिया।
इस अवसर पर भारत सरकार द्वारा सम्मानित जैन दिवाकरीय क्रांतिकारी राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेषजी महाराज ने कहा कि यह नियति ही है, कि जब शरीर ही हमारा अपना नहीं होता, तो संतान कैसे अपनी हो सकती है ? इसलिए आश्रम में निवासरत वयोवृद्ध सज्जनों को दुखी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था में परमेष्वर से लगन लगाने और अपनों से कमजोर व्यक्ति की निस्वार्थ भाव से सेवा करने से वृद्धावस्था के संताप से मुक्ति मिलती है। इस अवसर पर उन्होंने आश्रम के अनेक वृद्धजनों से परिचय प्राप्त करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी मार्बल की प्रतिमा को पूजने में विष्वास करती है, परन्तु जीवित माँ-बाप और समाज के जीवित बुजुर्गों की सेवा से दूर रहकर पतन के रास्ते पर जा रही है। उन्होंने आह्वान किया कि सरकार को पषुरक्षा तथा वृक्ष रक्षा से अधिक जीवित मनुष्यों की सुरक्षा तथा संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। श्रीहरि वृद्धाश्रम जैसे मानवता की सेवा को समर्पित संस्थानों और सेवा केन्द्रों को तपोभूमि की भांति उदारतापूर्वक व्यापक सहायता करनी चाहिए। ना केवल मनुष्यों अपितु प्राणी मात्र की सेवा को ही अपना लक्ष्य बनाने वाले लोग सच्चे मानव होते हैं। इस अवसर पर उन्होंने श्रीहरि वृद्धाश्रम संचालन समिति की निष्काम मानव सेवाओं की भूरि-भूरि प्रषंसा की। कष्मीर से कन्याकुमारी सहित 70 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर विदिषा पधारे मुनिश्री ने इस अवसर पर वृद्धाश्रम के बुजुर्गों को देहदान करने हेतु प्रेरित किया।
इस अवसर पर वृद्धाश्रम संचालन समिति की अध्यक्षा श्रीमती इन्दिरा शर्मा, वेदप्रकाष शर्मा, समाजसेवी डॉ. के.सी. बागरेचा, डॉ. शांतिलाल पीतलिया, डॉ. प्रकाष पीतलिया, इंजी. सीएल गोयल, जैन साध्वी हेमा दीदी तथा आरपी सिंह सहित आश्रम के सहयोगी तथा समाजसेवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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