20 वर्ष बाद 17 गुरूजियों से बिना शासनादेश के वसूली करना निंदनीय

मन्दसौर। शिक्षा गारंटी योजना 1997 के तहत गुरूजी पदनाम से नियुक्त शिक्षकों को शासनादेश और न्यायालयिन आदेश के पालन में सहायक अध्यापक बनाया गया किन्तु अब सन् 2017 में अर्थात् 20 वर्ष बाद बिना किसी शासनादेश के 17 गुरूजियों से वसूली के लिये जिला शिक्षा अधिकारी मंदसौर ने 7 फरवरी 2017 को वसूली आदेश जारी किये है। प्रत्येक गुरूजी ने अपने स्तर पर विरोध किया लेकिन सामूहिक प्रयत्न के लिये शिक्षक संघ म.प्र. (एसएसएमपी) ने स्वप्रेरणा से गुरूजियों का पक्ष रखा लेकिन कोई भी अधिकारी उसका प्रतिवाद नहीं कर पा रहा है।
शिक्षक संघ म.प्र. ने कहा कि जो अधिकारी आदेश जारी करता है उसे रोकने, स्पष्टीकरण देने का भी अधिकार है फिर जिला शिक्षा अधिकारी मौन क्यों है ? दस शिक्षकों को तीन माह से वेतन नहीं मिला है और दो को संविदा बना दिया है और पांच को अध्यापक रहते हुए वसूली की जा रही है अलग-अलग प्राचार्य वसूली की अलग-अलग निती कैसे बता सकते है? फिर भी जिला शिक्षा अधिकारी मौन है। ऐसा लगता है कि मंदसौर जिले के शिक्षा विभाग में कानून का राज है हीं नहीं। अभी गुर्जरबर्डिया उ.मा.वि. के प्राचार्य श्री दिलीप कुमार सांखला ने वसूली आदेश की विसंगतियां बताकर मार्गदर्शन मांगा उसका भी किसी ने उत्तर नहीं किया है। श्री सांखला के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही हो या नहीं परन्तु प्रभावित अध्यापकों का वेतन निकलना चाहिये इस प्रकरण में कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत और जिला शिक्षा अधिकारी तीनों मौन है।
यदि उन्हें वसूली आदेश निकालने का अधिकार नहीं था तो कलेक्टर मंदसौर पहलकर पीड़ित शिक्षकों को तुरंत राहत प्रदान कर शिक्षकों व उनके परिवारों को आर्थिक संत्रास से मुक्ति दिलाने की शिक्षक संघ म.प्र. जिला शाखा मंदसौर ने मांग की है।

error: Content is protected !!