यह फिल्म नहीं शिक्षा का मन्दिर है जिसे माँ कहते है

DSC_9027आज के कलयुग की बात हो या सतयुग की हर युग में माँ महान होती है और भारत देश ऐसा है जहाँ माँ को भगवान का दर्जा दिया गया उक्त बात आज नागौर में फिल्म ” माँ ” देखने आए गोभक्त , समाजसेवी , भामाशाह संत पदमाराम कुलरिया ने कहीं ।
श्री विश्वकर्मा इन्टरटेनमेंट के बैनर तले मातामोहिनी देवी मेमोरियल ट्रस्ट व मा सती पदमामाता ग्रुप , पदमग्रुप ऑफ कम्पनिज , तथा नरसी कुलरिया व शंकर कुलरिया की प्रस्तुति में निर्माता नेमीचन्द शर्मा और सुमेरमल यू सुथार द्वारा निर्मित और गोपाल कृष्णा योगेश के निर्देशन में बनी पारिवारिक व सामाजिक राजस्थानी ” माँ ” फिल्म का तीसरे सप्ताह में चल रहीं है । आज !! माँ !! फिल्म देखने आए गौसेवी संत श्री पदमाराम कुलरिया का सिनेमा पर पहुंचने पर नागौर नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन श्याम जाँगिड़ और समाजसेवी कन्हैयालाल धामू , सह निर्माता ओमप्रकाश सुथार व फिल्म !! माँ !! के मुख्य नायक राज जाँगिड़ , नन्दकिशोर , रमेश शर्मा , आदि ने माला पहनाकर , साफा व शाॅल ओड़ाकर भव्य स्वागत किया । इस अवसर पर संत श्री पदमाराम कुलरिया ने कहाँ की फिल्मों से समाज में कुरितिया फैल रहीं है , पर कुछ फिल्में ऐसी भी होती है जिसके माध्यम से समाज में जाग्रति उत्पन्न होती है , वैसे देखा जाए तो फिल्में समाज का आईना होती है , देखने वाले क्या ग्रहण करते है उस पर निर्भर है , रास्ता चुनना स्वयं पर है गलत या सही , फिल्म बहुत अच्छी और साफ सुथरी बनी है आज के इस दौर में घटीक घटनाओं पर आधारित है , जो भी बच्चा बच्ची एक बार यह फिल्म देखेंगा वो जीवन में कभी अपने माता पिता से दूर नहीं होगा , जिन्होंने यह फिल्म बनाई है उन्हें साधुवाद । इस दौरान फिल्म के अभिनेता राज जाँगिड़ ने कहाँ की आप जैसे अच्छे व्यक्तित्व का सिनेमा की और आकर्षित होना मतलब राजस्थानी सिनेमा को जीवनदान मिलने जैसा है । जाँगिड़ ने कहाँ की हिन्दी सिनेमा के माध्यम से राजस्थान की संस्कृति और सभ्यता रोंदी जा रहीं है सालों में कोई एक आद फिल्में आती है जिन्हें हम सपरिवार देख सकते है वरना तो ऐसी फिल्मों का बोल बाला जिससे समाज की नई पिढी अपने संस्कारों को तिलांजलि दे रही है । इस अवसर पर भैराराम नागल , भगवानाराम सूईल , नरेश नायक , कालु शायर , परमाराम नाई , भोमाराम लोळ , पप्पू सैन , आदि उपस्थित थे ।

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