बंगाल में दस दिनों की ‘सरकारी ऐश’

पश्चिम बंगाल में इस साल दुर्गापूजा के मौके पर ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार भी दस दिनों की छुट्टी पर रहेगी. हाल के वर्षों में यह पहला मौका है जब एक साथ इतनी लंबी सरकारी छुट्टी हुई हो.

20 से 29 अक्तूबर तक सरकार के तमाम दफ्तर बंद रहेंगे. पहले इसके बीच में एक दिन 26 अक्तूबर को कामकाजी दिवस था और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उस दिन भी छुट्टी का ऐलान कर दिया, जिस ऐलान से सरकारी कर्मचारी बहुत खुश हैं.

लेकिन बाकी लोग इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं. इसके अलावा यह सवाल भी उठ रहा है कि अगर त्यौहार के इस मौसम में कोई बड़ा हादसा हो गया तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.

पहले पूजा के मौके पर सरकारी दफ्तर दशहरे के पांच दिन बाद होने वाली लक्ष्मी पूजा तक छह से सात दिन बंद रहते थे. लेकिन बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार ने सत्ता में आने के बाद छुटिट्यों में कटौती कर दी थी. उनके कार्यकाल में दशहरे के अगले दिन तमाम सरकारी दफ्तर खुल जाते थे.

ममता के आदेश के पहले 20 से 25 तक दुर्गापूजा के एवज में छुट्टी थी. उसके बाद 27 अक्तूबर को बकरीद की छुट्टी थी और 29 को लक्ष्मी पूजा की. बीच में 28 को रविवार था यानी 26 अक्तूबर को दफ्तर खुलने थे.

लेकिन ममता बनर्जी ने अपने कर्मचारियों की सहूलियत का ख्याल रखते हुए एक अधिसूचना जारी कर 26 अक्तूबर को भी छुट्टी का एलान कर दिया है.

राज्य के आम लोग इस लंबी सरकारी छुट्टी से खासे नाराज हैं.

कड़ी आलोचना

महानगर की एक निजी कंपनी में काम करने वाले मलय घटक कहते हैं, ”मौजूदा दौर में एकमुश्त इतनी लंबी छुट्टी की कल्पना नहीं की जा सकती. इससे हजारों काम अटक जाएंगे. इस छुट्टी से जो नुकसान होगा उसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है.”

सिलीगुड़ी के एक कॉलेज में प्रोफ़ेसर रतन चक्रवर्ती सवाल करते हैं, ”त्यौहारों के इस मौसम में अगर कोई बड़ा हादसा हो गया तो जवाबदेह कौन होगा? सरकार तो छुट्टी पर रहेगी.’

इस लंबी सरकारी छुट्टी ने उन हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर भी खतरा पैदा कर दिया है जो सरकारी दफ्तरों के आसपास अपनी दुकानें चलाते थे.

राइटर्स बिलिडंग के बाहर चाय और ब्रेड आमलेट बेचने वाले नीलेश कहते हैं “पूजा तक तो ठीक है. लेकिन उसके बाद भी चार-पांच दिनों की छुट्टी रहेगी. ऐसे में हमारी रोजी-रोटी भी खतरे में है. हमारी तो कमाई ही ठप हो जाएगी.

सरकारी कर्मचारी खुश

सरकारी कर्मचारी इस फैसले से बेहद खुश हैं. एक कर्मचारी विश्वजीत घोष कहते हैं, ‘हमें साल में घूमने के लिए यह अतिरिक्त छुट्टी मिल गई है. अब और क्या चाहिए. सरकार के फैसले से हमारी अपनी छुट्टियां बच गईं.’ तमाम सरकारी कर्मचारियों ने पहले 26 अक्तूबर को एक दिन के आक्सिमक अवकाश का आवेदन दिया था. लेकिन अब सरकार ने ही छुट्टी पर मुहर लगा दी है.

सरकारी अधिकारियों का एक वर्ग भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहा है. एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर सवाल करते हैं, ‘कोई हादसा या आपात स्थिति की हालत में सरकार आखिर उसका कैसे मुकाबला करेगी, यह साफ नहीं है. पूजा के दौरान पूरा राज्य भगवान भरोसे ही रहेगा.’

विपक्षी सीपीएम ने भी इतनी लंबी छुट्टी के लिए सरकार की आलोचना की है. विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र कहते हैं, ‘देश में कहीं भी कभी कोई सरकार दस दिनों की छुट्टी पर नहीं रहती. राज्य के विकास का दावा करने वाली ममता सरकार इस पीछे की ओर ही धकेल रही है.’

अखबार तक बंद

सरकारी कर्मचारियों की इतनी लंबी छुट्टी का हवाला देते हुए राज्य की हॉकर यूनियनों ने भी तय किया है कि वे पूजा के दौरान चार दिनों तक अखबार नहीं बेचेंगे. हॉकरों की इस जिद की वजह से राज्य के तमाम मीडिया हाउसों ने चार दिनों तक अखबारों का प्रकाशन बंद रखने का फैसला किया है.

यानी 22 से 25 अक्तूबर यानी सप्तमी से दशहरे तक लोगों को कोई अखबार नहीं मिलेगा. हाकर एसोसिएशन की दलील है कि इस दौरान सरकारी कर्मचारियों को अगर लगातार दस दिनों की छुट्टी मिल सकती है तो हाकरों को चार दिनों की क्यों नहीं मिलेगी?

एसोसिएशन के सचिव नीलू विश्वास कहते हैं, “हाकर चार दिनों की छुट्टी से बेहद खुश हैं. हम बीते बीस सालों से यह मांग उठाते रहे हैं. लेकिन कंपनियां कभी इसके लिए तैयार नहीं होती थीं. इस बार उन्होंने हमारी मांग मान ली है.”

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