उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की मकबूलियत को स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्तमान तक कौन नहीं जानता है? इसके ऐतिहासिक महत्व को बताना या उस पर कुछ भी लिखना इतना आसान नहीं है जितना कि तीन अक्षर के इस जनपद के नाम ‘बलिया’ का मौखिक उच्चारण करना। कृषि प्रधान इस जिले ने अपनी माटी में उत्पादित कर समय-समय पर शिक्षा, राजनीति व सरकारी सेवाओं में अनेक विभूतियों को राष्ट्रसेवा में अतुलनीय योगदान के लिए दिया है। बलिया जनपद के होनहार/दिग्गजों के बारे में यदि कुछ लिखना चाहें तो सर्वप्रथम राजनीति के व्योम शीर्ष पर विराजे पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की याद ताजा हो जाती है। उच्च शिक्षा प्राप्त राजनीति के प्रकाण्ड ज्ञाता युवा तुर्क कहलाने वाले स्व. चन्द्रशेखर बलिया की ही माटी में जन्में व पले-बढ़ें और राजनीति के शीर्ष तक पहुँचें।
उसी बलिया जनपद में जन्में, पले-बढ़े और इलाहाबाद में उच्च शिक्षा प्राप्त कर प्रदेश पुलिस की सेवा (पी.पी.एस.) में चयनित हो 20 वर्ष की दीर्घकालिक सेवा देते हुए वर्तमान में अम्बेडकरनगर के अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हँसमुख, शालीन, मिलनसार व मृदुभाषी आदि गुणों से परिपूर्ण ओम प्रकाश सिंह के बारे में कुछ लिखने का मन हो आया। गंगा और घाघरा के जल से सिंचित बलिया जनपद की धरती पर 45 वर्ष पूर्व (8-9-1972) श्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह व श्रीमती रमिराज देवी के 4 सन्तानों (दो बेटियाँ व दो बेटे) में सबसे छोटे पुत्र के रूप में इस युवा हंसमुख, मृदुभाषी व अपने कर्तव्य/दायित्व के प्रति सचेष्ट, जाँबाज पुलिस अधिकारी जिसका नाम ओमप्रकाश सिंह है ने जन्म लिया। बालपन से ही इनमें पुलिस सेवा में जाने की ललक थी। परिणाम यह हुआ कि स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त 25 वर्ष की उम्र में ये वर्ष-1997 में पी.पी.एस. में चयनित हो गए और तब से निरन्तर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
पुलिस उपाधीक्षक के रूप में ओ.पी. सिंह की पहली तैनाती उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुई। तत्पश्चात हरदोई, एस.टी.एफ. लखनऊ, मैनपुरी, पी.ए.सी. लखीमपुर खीरी, एन्टी करप्शन टास्क फोर्स पी.एच.क्यू. इलाहाबाद, जी.आर.पी. इलाहाबाद औरैया आदि जनपदों में तैनात रहकर अपनी सेवाएँ देने वाले इस अधिकारी की तैनाती जनपद अम्बेडकरनगर में 27 मई 2017 को हुई। पिछले दिनों नवरात्र व मोहर्रम उपरान्त इस अधिकारी से एक संक्षिप्त भेंट करने का अवसर मिला, जिसमें अनौपचारिक रूप से वार्ता करते हुए इनके बारे में कुछ जानकारी लेकर उसे आलेख का स्वरूप प्रदान कर पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत किया जा रहा है।
अपर पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश सिंह के अनुसार 1997 में पी.पी.एस. में चयनित हुए और पुलिस उपाधीक्षक के रूप में उनकी पहली तैनाती जौनपुर में हुई। ठीक 18 साल बाद वर्ष- 2015 में प्रोन्नति पाकर वह अपर पुलिस अधीक्षक हुए और जी.आर.पी. इलाहाबाद में तैनात किए गए। उनकी शादी वर्ष- 2000 में इलाहाबाद की रहने वाली निकेता सिंह के साथ हुई और हंसते-खेलते परिवार में 2 पुत्रों (कार्तिकेय विक्रम 16 वर्ष व मनन विक्रम 11 वर्ष) ने जन्म लिया।
ए.एस.पी. ओ.पी. सिंह ने कहा कि वह हमेशा सबके लिए उपलब्ध हैं, यदि कोई समस्या है तो उन्हें किसी भी समय सम्पर्क अथवा कॉल किया जा सकता है। इन पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि ओ.पी. सिंह में समाज के पीड़ित लोगों के लिए कितनी हमदर्दी है। बात-बात में उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने दायित्वों और कर्तव्यों का पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ पालन करे तो समाज में कोई समस्या रह ही नहीं जाएगी, कहने का मतलब अपनी जिम्मेदारियों को समझना और उसका निवर्हन करना अपने आप में कई परेशानियों का हल है।
अब तक 20 साल के पुलिस सेवा में ओम प्रकाश सिंह ने काफी अनुभव प्राप्त किया है, और पुलिस विभाग की सेवान्त तक बहुत कुछ सीखेंगे। पुलिस विभाग का गठन स्वतंत्र देश के नागरिकों में अमन-चैन स्थापित करने के लिए किया गया है। उसको दृष्टिगत रखते हुए ये मित्र पुलिस की भूमिका का निवर्हन करेंगे। इनसे ऐसी ही अपेक्षा की जाती है।
गोस्वामी तुलसी दास की इस पंक्ति- “परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई” को इस तरह का व्यक्ति और एक पुलिस ऑफिसर अवश्य ही स्मरण रखते हुए अपने को नामचीन हस्तियों में शुमार करेगा।
–रीता विश्वकर्मा, पत्रकार, मो.नं. 8423242878, Wapp. No. 8765552676
