शेप साउथ एशिया 2017 समिट में दूसरे दिन 3 सत्रों में हुई चर्चा

– डिजिटलाइजेशन, फ्यूचर ऑफ लर्निंग इन डिजिटल एज, टेक्नोलॉजी स्ट्रग्लस जैसे विषयों पर हुई चर्चा।
– वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की पहल पर ग्लोबल शेपर्स, भोपाल इस रीजनल साउथ एशियन प्लेटफार्म पर बेहतरीन स्पीकर्स को विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए लाए हैं।

भोपाल। साउथ एशियन समिट 2017 के दूसरे दिन विषय विशेषज्ञों ने तीन सत्रों में वर्तमान के ज्वलंत विषयों पर चर्चा की। समिट में चर्चा का केंद्र डिजिटलाइजेशन रहा, जिसकी नई संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम के पहला सत्र आज के सबसे बड़े प्रश्न क्या आज डिजिटलाइजेशन चुतर्थ औद्योगिक क्रांति का आगाज है ? पर केंद्रित रहा। इस सत्र के पैनल में बतौर विशेषज्ञ हेड ऑफ सोशल एंगेजमेंट-एशिया, वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम रवि कनेरिया, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के नेशनल टेक्नोलॉजी ऑफिसर प्रशांत शुक्ला और सिमा के ईवीपी एकेडमिक डॉ. नॉयल टाएगो शामिल थे। इस सत्र को फाउंडर और सीईओ एफटी कैश वैभव लोधा ने निष्कर्षित और नियंत्रित किया। इस दौरान विभिन्न जरूरी विषय जैसे तकनीक की बढ़ती उपलब्धता, कई क्षेत्रों जैसे एजुकेशन, एग्रीकल्चर, हेल्थकेयर आदि में तकनीक का क्रियान्वयन आदि सामने आए।
वहीं दूसरे सत्र का विषय था, द फ्यूचर ऑफ लर्निंग इन डिजिटल एज। इस विषय का मुख्य बिंदु था कि तेजी से बढ़ते डिजिटलाइजेशन के माहौल में शिक्षा के स्तर को कैसे बढ़ाया जाए। सत्र में डिजिटलाइजेशन और तकनीक कैसे कोर्सेस और शैक्षणिक सुविधाओं को कैसे सहज और सरल बना रहे हैं, पर चर्चा हुई। इसमें यह बात भी सामने आई कि इससे शिक्षण-प्रशिक्षण के भविष्य को खतरा भी है, क्योंकि शिक्षा को फेस टू फेस कम्यूनिकेशन माना जाता है। यही नहीं, इसमें यह भी बात उभर के आई कि कैसे शिक्षा के मानक कई वर्षों में नहीं बदले हैं, केवल डिजिटलाइजेशन जैसे बदलाव हुए हैं। सत्र का समापन इनोवेटिव बच्चों और उनकी बढ़ती क्षमताओं के साथ हुआ, जिसमें कहा गया कि डिजिटलाइजेशन कभी भी क्लासरूम लर्निंग का विकल्प नहीं हो सकता है।

कार्यक्रम के तीसरे सत्र में तकनीक के दो पहलुओं यानि सुविधाओं और बुनियादी कठिनाईयों पर चर्चा हुई। पैनल में शामिल विशेषज्ञों ने कहा कि आगामी दस वर्षों में सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के रहवासियों से सीधे संपर्क का लक्ष्य रखा है, लेकिन मुश्किलों की बात की जाए, तो वो लोग जिनके घर में शौचालय नही हैं, लेकिन मोबाइल फोन्स जरूर हैं। इसका मतबल है कि डिजिटल कनेक्टिविटी, जरूरी और बुनियादी सुविधाओं की कनेक्टिविटी से बेहतर है। इसके बाद इंफ्रसट्रक्ख्र पर चर्चा की गई, जिसमें यह बात आई कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कैसे बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है, लेकिन अंत में सर्वांगीण विकास के लिए सरकार तकनीकी प्लेटफॉर्म का उपयोग कर सकती है। सत्र के दौरान सरकार के चार प्रमुख मिशनों, स्वच्छ भारत अभियान, अमृत मिशन, लॉ कॉस्ट हाऊसिंग मिशन और स्मार्ट सिटी मिशन पर भी चर्चा की गई।
कार्यक्रम के अंत में डिमेस्टिफाइंग आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस पर टाटा इंटरैक्टिव के विकास द्विवेदी द्वारा वर्कशॉप भी आयोजित की गई। इसमें टेक्नोलॉजी और न्यू मीडिया में आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस को बतौर ट्रेंड समझाया गया। जब इंसान रास्ता नहीं ढूंढ नहीं पाता है, हम हमेशा ह्यूमन इंटैलिजेंस के जरिए नई तकनीक का इजात कर बेहतर रास्ते की खोज करते हैं। इसमें मशीन लर्निंग, कम्प्यूटर सिस्टम और फीडिंग डाटा आदि को भी समझाया गया।
ज्ञात हो कि ग्लोबल शेपर्स वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक पहल है। यह यंग लीडर्स की एक ग्लोबल कम्युनिटी है, जिन्होंने अपने समुदाय में विशिष्ट योगदान देते हुए अपने कार्यक्षेत्र में अग्रणी रहे हैं। इस वर्ष समिट में चतुर्थ औद्योगिक क्रांति और तकनीक से विश्व भर में नई संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा की जा रही है। समिट में तैयार होने वाले बिंदुओं से एशिया में पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर्स में वर्तमान और भविष्य में नवाचार लाने की दिशा में सहायता मिलेगी। इस कार्यक्रम में भारत एवं साउथ एशियन देशों से लगभग 100 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

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