रामलीला मैदान में काग्रेस ने शक्ति प्रदर्शन के साथ संगठन में शक्ति के स्थानातरण के प्रबल संकेत भी दे दिए। काग्रेस पर तमाम आरोपों और हमलों के बीच बड़ी भूमिका संभालने जा रहे राहुल गाधी रैली में आकर्षण का प्रमुख केंद्र थे। उन्हें सबसे पहले भाषण का मौका मिला और उन्होंने राजनीतिक तंत्र बदलने का उद्घोष कर संगठन में बड़े बदलावों की तरफ इशारा भी कर दिया। राजनीतिक तंत्र में आम आदमी की भागीदारी न होने की बात कहकर उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के साथ खुद की पार्टी और सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया। अगले कुछ दिनों में औपचारिक रूप से पार्टी में नंबर दो की भूमिका में आने जा रहे राहुल ने स्पष्ट कर दिया कि वह बदलाव की शुरुआत काग्रेस से ही करेंगे।
पूरे देश से आए काग्रेस के प्रमुख नेताओं के बीच राहुल ने दो टूक कहा, कमी ये है कि आम और कमजोर आदमी के लिए राजनीतिक सिस्टम बंद है। राजनीतिक पार्टियों के दरवाजे आम आदमियों के लिए बंद हैं। आम आदमी सपने देखता है और राजनीतिक सिस्टम उसे ठोकर मारकर गिरा देता है। हमें इस तंत्र को बदलना होगा। यह तंत्र भी काग्रेस ही बदलेगी। काग्रेस पार्टी को भी बदलने की जरूरत है। राहुल जिस समय यह बात कह रहे थे, काग्रेसियों के बीच पार्टी के नए कलेवर की चर्चा शुरू हो गई थी। कारण है कि 8 नवंबर को हरियाणा के सूरजकुंड में काग्रेस का चिंतन शिविर है।
संकेत हैं कि इससे पहले ही काग्रेस में सागठनिक फेरबदल हो सकता है। उसमें औपचारिक रूप से राहुल की भूमिका मुख्य काग्रेस में हो सकती है। अभी उनके पास जो युवक काग्रेस या छात्र संगठन का प्रभार है, अब उन्हें मुख्य काग्रेस की बड़ी जिम्मेदारी देकर औपचारिक रूप से नंबर दो का पद दिया जाएगा। ऐसे में काग्रेसियों के दिमाग में यही सवाल कौंध रहा है कि वह किस तरह से मुख्य संगठन का स्वरूप खड़ा करेंगे। जिस तरह से वह युवाओं को आगे लाने की बात कर रहे हैं, उससे माना जा रहा है कि अभी तक उनके साथ रही टीम को प्रोन्नत किया जाएगा या उनकी जिम्मेदारी बढ़ाई जाएगी। हालाकि, यह किस तरह होगा इस पर सबकी नजरें हैं।