दादा का सौवां जन्मदिन

वर्तमान सरकार ने बिना माॅगे बहुत कुछ दिया। साहित्यकारों ने मुक्तकंठ से दादा के स्मरण सुनाए ।
खण्डवा । निमाड़ के लोक संस्कृति पुरुष पं0 राम नारायणजी उपाध्याय (पद्मश्री एवं साहित्य वाचस्पति ) के 100वें जन्म दिन की शुरुवात पं0 रामनारायण उपाध्याय वार्ड खण्डवा में माननीय श्री पारसजी जैन, प्रभारी मंत्री के माल्यार्पण से प्रारंभ हुई। श्री हरीश कोटवाले,श्री सुनील जैन प्रवक्ता के साथ मंत्री महोदय ने दादा के निवास पर पहॅुचकर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर श्री हेमंत उपाध्याय सचिव निमाड़ लोक संस्कृति न्यास श्रीमती सुमन चैरे श्री कार्तिकेय चैरे,श्रीमती साधना उपाध्याय वीरेन्द्र काजवे से चर्चा की । श्री हेमंत उपाध्याय ने कहा कि हमने वार्ड नहीं माॅगा शासन ने दिय । हमने मूर्ति की माॅग नहीं की शासन बना रही है । हमने कालमुखी की शाला के नामकरण की माॅग नहीं की गाॅव वालों ने माॅग की व विधायक महोदय ने अनुशंसा की। स्कुल की मांग को श्री जी0एम0 पारासरजी ने प्रमुखता से उठाया है। मंत्री महोदय ने भी पद्मश्री रामनारायणजी के नाम से कालमुखी की स्कूल का नाम होने की ष
शासकीय नियमों के तहत सहमति दी व जिला योजना समिति में निर्णय कराने की बात कही। हरीश कोटवाले ने भी जिला योजना समिति में निर्णय करने की बात टही ।
बाद में खण्डवा के साहित्यकारों ने दादा का जन्मदिन स्वप्रेरण से उपस्थित होकर मनाया । उनके संस्मरण सुनाएॅ । इस अवसर पर श्री रघुवीर शर्मा ने हरसूद सम्मान के प्रसंग सुनाए । उन्होंने कहा कि शिव मंगल सिंह सुमन . श्री भवानी प्रसाद जी मिश्री . श्री चन्द्र प्रभास
शेखर सहित 30 वक्त उपस्थित हुए थे । श्री शिवशंकर जी शर्मा के प्रयासों से कार्यक्रम अभूतपूर्व हुआ । हरसूद में श्री शिव मंगलसिंह सुमन ने कुलपति होने के बाद रामा दादा के व्यक्तित्व की व कृतित्व की मुक्तकंठ से सराहना की। श्री श्रीकांत साकल्ले ने उनकी पुस्तकों के अंश सुना कर याद किया। उन्होंने कहा -दादा ने मुझे आकाशवाणी के कई अवसर सुलभ कराए। श्री अलोक सेठी ने कहा- जिस प्रकार जैन को जैन तीर्थ व स्थानक जाने से सुख शांति मिलती है , मुस्लिम भाई को मक्का जाने से सुख होता है ,हिन्दु को काशी जाने से सुख शांति मिलती है, उसी प्रकार मुझे दादा की इस पावन धरती पर आने से सुख व संतोष मिलता है। उनकी प्रेरणा से मुझ जैसे कई लोग साहित्यकार बने। श्री चंद्रशेखर मण्डलोई, श्री संतोष तिवारी,श्रीमती भारती पाराशर, ने भी दादा को मुक्त कंठ से याद करते हुए संस्मरण सुनाए। श्रीमती सुमन चैरे ने पारिवारिक संस्मरण सुनाए। अध्यक्षता करते हुए जगदीश चैरे ने कहा मैं दादा के नाम से नए सम्मान की घोषणा करता हूॅ। उनकी आवाज में अवाज मिलते हुए सभी ने एक स्वर में कहा- जब तक सूरज चाॅद रहेगा रामा दादा का नाम रहेगा।
काई वर्षो से लगातार सफल संचालन के लिए कार्यक्रम में श्रीमती मंगला चैरे का सम्मान निमाड़ गणगौर एवं लोक कला मंडल की संचालिका श्रीमती साधना उपाध्याय ने साल व श्रीफल से किया कार्यक्रम । शहर के अनेक साहित्यकारों की गरीमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम बहुत ही सफल रहा । श्रीमती शांता गीते को भी सम्मानित किया।

हेमंत उपाध्याय 9425086246 9424949839 7999749125

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