ग्रामोफोन के सुझाव बने किसानों की बेहतरी का उदाहरण

मध्यप्रदेश: ग्रामोफोन एक ऐसा कृषि संबंधी ऐप है जो हर लिहाज से किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो रहा है। इस ऐप के माध्यम से किसान अपने खेत या फसल से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान आसानी से हासिल कर सकते हैं। ग्रामोफोन ऐप का इस्तेमाल करने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ के अनेकों किसानों ने पहले से बेहतर उपजा का दावा किया है और दिन प्रति दिन इस लिस्ट में किसानों की बढ़ती संख्या को साफ तौर पर देखा जा सकता है।
– ग्रामोफोन ऐप का इस्तेमाल करने वाले किसान व परिणाम
किसानों की खेती संबंधी समस्या का निवारण करने वाले ग्रामोफोन मोबाइल ऐप का इस्तेमाल मौजूदा समय में देशभर के लगभग एक लाख किसानों द्वारा किया जा रहा है. इस लिस्ट में एक अन्य नाम मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के ग्राम घिनिधा तहसील से आने वाले किसान दीपक पाटीदार का शामिल हो गया है। दीपक बताते है कि उन्हें ग्रामोफोन ऐप का इस्तेमाल करते हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है लेकिन ग्रामोफोन की सलाह उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। वह पिछले कई वर्षों से अपने एक बीघा खेत में प्याज की पैदावार कर रहे हैं। दीपक के अनुसार, खेतों से जुडी समस्याओं का सामना करते हुए काम चलाऊ उत्पादन तो हर साल हुआ लेकिन नुकसान की भरपाई हमेशा से ही कमर तोड़ने वाली रही। कई दफा लागत न निकलने की स्थिति भी उत्पन्न हुई जिसकी वहज से खराब आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ा। उन्होंने हर साल की तरह इस बार भी लगभग एक बीघा क्षेत्र में कांदे के बीज बोए, फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार उन्होंने ग्रामोफोन के विशेषज्ञों द्वारा मिले सुझावों के अनुसार फसल का रख रखाव किया। बकौल दीपक ‘‘शुरू से ही कीटनाशक का छिड़काव, मौसम और दवाइयां संबंधी कई समस्याएं आती रही हैं लेकिन ग्रामोफोन आने के बाद इन समस्याओं का समाधान निकालना ज्यादा आसान हो गया हैं। ग्रामोफोन से मिलने वाले सुझावों से बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।‘‘
-ग्रामोफोन के सुझावों पर अमल करने व न करने वाले किसानों की फसल में अंतर
दीपक पाटीदार बताते हैं, ‘‘पैदावार अच्छी होने की उम्मीद कम थी क्योंकि पिछले कई सालों से ऐसा ही हो रहा है। फसल अभी खेत में ही है लेकिन इस बार उपजा के आधार पर खेतों की दशा में बड़ा अंतर दिख रहा है। जहां पिछले सालों में कांदे का आकार मध्यम या अति सूक्ष्म होता था वहीं इस बार के कांदे का आकर तुलनात्मक रूप से काफी बड़ा है। खेतों की उर्वरक क्षमता में भी सकारात्मक असर पड़ा है और खेत पहले से ज्यादा खिले हुए नजर आ रहे हैं।‘‘
पिछले कई वर्षों से अगल-अलग फसलों का उत्पादन कर रहे दीपक अपने अनुभव के आधार पर बताते हैं कि ग्रामोफोन की सलाह हर लिहाज से लाभदायक सिद्ध हुई हैं। हालांकि उनके आस पास के खेतों में जिन किसानों ने बिना किसी सलाह के पुराने तौर तरीकों का इस्तेमाल कर ही बीज रोपण किया हैं उनके उत्पादन की गुणवत्ता पहले के सामान ही है। साथ ही खेतों की बुरी स्थिति भी जस की तस बनी हुई है।
दीपक की तरह अन्य ग्रामोफोन उपभोक्ताओं द्वारा सांझा किए गए अनुभवों के आधार पर देखें तो जिन किसानों ने ग्रामोफोन से मिले सुझावों पर अमल किया है उन्हें अपने खेतों की उर्वरक क्षमता, फसलों का अधिक उत्पादन, खेतों की बेहतर स्थिति, बीज, दवाइयों, कीटनाशकों, कीट प्रकार, फसल चक्र और मौसम संबंधित कई जानकारियों का लाभ मिला है। इसके इतर जिन किसानों ने ग्रामोफोन का सुझाव लिए बगैर ही बीज रोपण किया उनके खेतों की स्थिति तुलनात्मक रूप से एक सामान ही बनी हुई है।
सही जानकारी न होने के परिणामस्वरूप किसानों ने फसल के रख रखाव में वहीं लापरवाही बरती जो वह हमेशा से करते आ रहे हैं। नतीजतन उनकी फसलों का उत्पादन हर साल की तरह असंतोषजनक ही हो रहा है। सही जानकारी न होने की वजह से कई खेतों के झुलसे होने या उनमें दरारें पड़ने जैसी समस्याएं आम हो गई हैं।

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