​सपा करेगी लोकपाल बिल का विरोध

एक तरफ तो लोकपाल बिल पर पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति बनने की बात कही जा रही हैं वहीं यूपीए को बाहर से समर्थन दे रही सपा ने ऐलान किया है कि वह लोकपाल बिल का विरोध करेगा। इससे पहले आज कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति ने लोकपाल पर अपनी फाइनल रिपोर्ट राज्य सभा में पेश कर दी है। संशोधित कार्यसूची के अनुसार राज्य सभा में कांग्रेस की ओर से शांताराम नाइक ने इस रिपोर्ट को पेश किया। वैसे, आमतौर पर प्रवर समिति के अध्यक्ष ही अपनी रिपोर्ट पेश करते हैं।

गौरतलब है कि पिछले साल लोक सभा में लोकपाल बिल पारित होने के बाद तमाम संशोधन प्रस्ताव को लेकर बिल राज्यसभा में लटक गया था। बिल को प्रवर समिति को भेजा गया था। समिति को रिपोर्ट मानसून सत्र में पेश करनी थी, लेकिन इसे 19 नवंबर को स्वीकार किया गया। बिल तैयार करने वाले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को समिति की सिफारिशों पर विचार के लिए कैबिनेट के समक्ष रखना होगा। राज्य सभा में बिल पारित होने के बाद इसके संशोधित स्वरूप को दोबारा लोक सभा की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

प्रवर समिति ने राज्यों में लोकायुक्त के प्रावधान को बिल से अलग करने समेत तमाम अहम सिफारिशें दी हैं। इसमें भाजपा, जदयू समेत विपक्ष की कई मांगों को मंजूर किया गया है। खास बात है कि कानून मंत्रालय के तर्को के बावजूद समिति ने पीएमओ के अधिकारियों को लोकपाल के दायरे से बाहर नहीं रखा है।

माना जा रहा है कि लोकपाल में आरक्षण के प्रावधान में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। मूल लोकपाल बिल के मुताबिक इसमें एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिलाओं के 50 फीसदी से कम सदस्य नहीं होंगे। भाजपा इसके विरोध में थी और समझा जाता है कि आरक्षण के मुद्दे पर पार्टी ने अपनी राय से अलग से समिति के समक्ष रखी है।

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