ब्रिटेन का ‘लीड्स विश्वविद्यालय’ हमारे देश के प्रबंध संस्थान ‘गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’ के साथ साझेदारी में अपने हालिया शोध अध्ययन “Following The Thread: कपड़ों की आपूर्ति श्रृंखला को समझना और ब्रिटिश विधान/क़ानून का भारतीय व्यापार पर प्रभाव” से निष्कर्षों को साझा कर रहे हैं । यह शोध अध्ययन ब्रिटिश अकादमी और अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (DfiD) द्वारा वित्त पोषित है।
इसी सन्दर्भ में एक राउंड टेबल परिचर्चा का आयोजन 8 फ़रवरी २०19 को ली मेरिडियन होटल, दिल्ली में किया गया.
इस परिचर्चा का उद्घाटन श्रीमती शारदा नायक पूर्व निदेशक यू एस एजुकेशनल फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया, श्री कमल सिंह, यू एन ग्लोबल कॉम्पैक्ट इंडिया नेटवर्क के निदेशक, श्री राजेंद्र गुंजल, राजस्थान समन्वयक – बचपन बचाओ आंदोलन,एवं आपूर्ति विशेषज्ञ श्री रिषि शेर सिंह ने किया !
इस अवसर पर गोवा इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनजमेंट के निदेशक श्री अजीत पारुलेकर, प्रोजेक्ट समन्वयक डॉ दिव्या सिंघल, लीड्स यूनिवर्सिटी से ड़ॉ हिनरिक वॉस , प्रोफेसर मैथ्यू डेविस उपस्थित रहें !
कमल सिंह जी ने सतत विकास लक्ष्य के बारे में बोलते हुए कहा की इन लक्ष्यों को पाने में सबको एक जुट हो कर सहयोग करना होगा. राजेंद्र गुंजल ने बाल मजदूरी की समस्या के बारें में बताते हुए बचपन बचाओ आंदोलन के प्रयासों की जानकारी दी. उन्होंने बताया की गाठ दो वर्षों में दिल्ली की कपड़ा फैक्ट्रियों से ४२७ बाल मजदूरो को बचपन बचाओ आंदोलन ने मुक्त कराया है ! उन्होंने कहा की सामूहिक प्रयास जबरन मजदूरी मुक्त समाज बनाने में आवश्यक हैं !
रिषि शेर सिंह ने कहा की मॉडर्न मजदूरी छुपे हुए रूप में आज भी मौजूद है और कपड़ा उद्योग में आज भी है ! इसे कैसे मिलकर ख़तम करना है, सोच करें !