श्रीहरि वृद्धाश्रम निवासी गंधर्वसिंह यादव का हुआ देहदान

विदिषा 26 अपै्रल 2019/ स्थानीय श्रीहरि वृद्धाश्रम में रह रहे 85 वर्ष के गंधर्वसिंह यादव ने जिला चिकित्सालय में चिकित्सा के दौरान आज अंतिम सांस ली। आखिरी सांस तक वे उन्हें ठुकराने वाले अपने परिजनों को याद करते रहे, लेकिन वहां वृद्धाश्रम की सेवाभावी टीम के अलावा उनका अपना कोई नहीं था।
अपने अंतिम समय की तैयारी करते हुए गंधर्व सिंह यादव ने मेडिकल कालेज में देहदान करने की वसीयत श्रीहरि वृद्धाश्रम प्रबंधन को एक वर्ष पूर्व सौंप दी थी। आज सुबह 8 बजकर 30 मिनिट पर उनका स्वर्गवास होने पर वृद्धाश्रम प्रबंधन ने उनकी पार्थिव देह स्थानीय अटल विहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज को दान में कर दी।
स्मरणीय है कि विदिशा जिले के सतपाड़ा गांव में रहने वाले गंधर्वसिंह यादव अपनों द्वारा ठुकराए जाने पर 3 वर्ष पहले विदिशा के श्रीहरि वृद्धाश्रम में आए थे। तब वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे, उसी बीच गंधर्व सिंह यादव को लगा कि जीते जी अपनों द्वारा ठुकराया गया हूं और इस उम्र और बीमारी की हालत में मैं कुछ कर नहीं सकता, लिहाजा विदिशा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को अपनी देहदान कर दी जाए और उन्होंने आश्रम में रहते हुए ही अपनी पार्थिव देह दान कर दी थी। उनके द्वारा आज अंतिम सांस लेते ही वृद्धाश्रम की अंतिम संस्कार समिति के सदस्य इंजी.सीएल गोयल ,मनोज पाण्डे ,विष्णू नामदेव सहित अनेक समाजसेवियों की मौजूदगी में विदिशा के अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में उनकी पार्थिव देह दान की गई। पार्थिव देह के मेडिकल कॉलेज पहुंचते ही कॉलेज के डीन डॉ. सुनील नंदेश्वर, एचओडी डॉ रश्मि देव पुजारी सहित स्टाफ तथा स्टूडेंट्स ने स्वर्गीय गंधर्वसिंह यादव की पार्थिव देह पर पुष्प मालाएं अर्पित कर सार्वजनिक रूप से श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कॉलेज के डीन डॉ. सुनील नंदेश्वर तथा एचओडी डॉ रश्मि देव पुजारी ने श्रद्धा-सुमन समर्पित करते हुए श्री हरि वृद्धाश्रम और उससे जुड़े समाजसेवियों की मुक्त कंठ से प्रसंशा करते हुए कहा कि आज हमारे स्टूडेंट्स और हमारा कॉलेज आप सभी का ऋणी हैं, यह पार्थिव देह ट्रेनी डॉक्टरों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। श्रीहरि वृद्धाश्रम की संचालन समिति के सदस्य वेदप्रकाश शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि मृत शरीर के किसी नदी में बहाने अथवा पारंपरिक अंतिम अग्नि संस्कार के स्थान पर वह मृत देह यदि समाज-सरकार के काम आ जाए तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। वृद्धाश्रम की सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री केशर जहां, देवकी रायकवार ,अशोक जैन ने कहा कि गन्धर्वसिंह दादाजी पिता जैसे थे पिता जैसे लगे, इसीलिए हमने उनकी हर प्रकार की पूरी सेवा की।

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