श्रीहरि वृद्धाश्रम पहुँच कर मुनि संघ ने निरूपित किया सेवा ही सच्चा धर्म है

विदिषा 27 फरवरी 2020/ पूज्य संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रसादसागरजी, मुनिश्री पुराणसागरजी, मुनिश्री शैलसागरजी, मुनिश्री निकलंकसागरजी ने पुराना जिला चिकित्सालय स्थित श्रीहरि वृद्धाश्रम के नवीन स्थान पधारकर पूरे वृद्धाश्रम का सूक्ष्म निरीक्षण कर कहा कि यह स्थान सेवा की तपोभूमि से कम नही है। सेवा ही सच्चा धर्म है। इस संस्था का और विस्तार-विकास होना चाहिए।
इस अवसर पर श्रीहरि वृद्धाश्रम की अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा शर्मा, संचालक वेदप्रकाश शर्मा, उपाध्यक्ष विष्णु नामदेव सहित संस्था के बुजुर्गो और परामर्श दात्री के समिति के वरिष्ठ सदस्य सीएल गोयल, राकेश जैन, केशर जहॉँ, कमल रायकवार ने मुनिसंघ को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद ग्रहण किया। कार्यक्रम का संचालन शीतलनाथ दिगंबर जैन मंदिर की साध्वी सुश्री हेमा दीदी ने करते हुए श्रीहरि वृद्धाश्रम की सेवा और समाज के योगदान पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर संपन्न एक धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रसाद सागरजी ने कहा मनुष्य को केवल कर्म करना चाहिए, फल की इच्छा नहीं रखना चाहिए। हमें जो भी मिलता है वह अपने कर्मों का प्रतिफल ही है। इसलिए सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए। उन्होंने हरि नाम की महिमा और हरि कृपा पर भी विस्तृत प्रकाष डाला। उन्होंने श्री हरि वृद्धाश्रम के लिए सर्वसुविधासंपन्न नवीन भवन प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन को साधुवाद देते हुए विष्वास व्यक्त किया कि इस जनहितेषी व लोकमंगलकारी नवीन व्यवस्था से बुजुर्गो की बेहतर सेवा हो सकेगी। उन्होने कहा कि विदिशा का समाज सेवा में विशेष स्थान है। इसकी गरिमा बनाए रखने सभी को प्रयास करने चाहिए। उन्होने श्रीहरि वृद्धाश्रम में बुजुर्गों की बेहतर सेवा का अवलोकन करते हुए कहा कि यहाँ भगवान महावीर के सिद्धांत, अहिंसा परमो धर्मः, एवं जीव दया का समर्पित भाव परिलक्षित हो रहा है। उन्होने कहा कि बुजुर्गों की सेवा हमारी संस्कृति है। हमें इसे बचाए रखना है। उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि वे सभी अपने अपने माता-पिता की सेवा करें। यह ना केवल धर्म है, बल्कि उनकी नैतिक जिम्मेदारी भी है। जिस घर में माता-पिता वसते-खुष रहते है उस घर मे ईश्वर निवास करते है, माता-पिता ही सच्चे ईश्वर है। उन्होंने कहा कि संसार के प्रत्येक प्राणी में समाहित आत्मा रूपी परमात्मा का हम सब को सम्मान करना चाहिए और समाज के पीड़ित बुजुर्गो की सहायता में सभी वर्गों को आगे आकर सार्थक भूमिका निभानी चाहिए। इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी राजेश जालौरी, हरिनारायण शर्मा, डॉक्टर जनार्दनसिंह जादौन आदि सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी उपस्थित रहे। संस्था की अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा-वेद प्रकाश शर्मा ने आभार व्यक्त किया।

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