अब आरोपियों को फांसी होना तय!

वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में पीड़िता के जीते-जी भले ही आरोपियों को फांसी दिए जाने को लेकर कानूनी अड़चनें रही हों, मगर पीड़िता की मौत के बाद फांसी की सजा को लेकर अड़चन अब समाप्त हो गई है। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पीड़िता की मौत के बाद अब पुलिस द्वारा आरोपियों पर हत्या का आरोप भी दर्ज हो गया है, ऐसे में अगर अदालत इस मामले में दुर्लभतम श्रेणी का अपराध मानती है तो आरोपियों को फांसी की सजा दी जा सकती है। इस संबंध में दिल्ली पुलिस के पुलिस आयुक्त नीरज कुमार पहले ही सरकार व अदालत से अपील कर चुके हैं कि इस मामले को दुर्लभ अपराध की श्रेणी में रखा जाए और उसी के आधार पर अदालत अपना फैसला करे।

गौरतलब है कि वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद से ही देशभर में इस बात की पुरजोर मांग उठने लगी थी कि आरोपियों को फांसी दी जानी चाहिए, और सरकार दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान तय करे। चूंकि दुष्कर्म के मामले में विशेष प्रावधानों के तहत अधिकतम उम्रकैद की ही सजा का प्रावधान है, इसलिए सरकार द्वारा दुष्कर्म के मामले में कानून में संशोधन को लेकर मंत्रणा की जा रही थी। सरकार यह विचार कर रही थी कि दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान किया जाए या नहीं।

वहीं, दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने तो सरकार से यह मांग भी की थी कि इस सामूहिक दुष्कर्म के अपराध को दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाए, ताकि वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म के मामले के आरोपियों को फांसी की सजा दी जा सके।

मगर, दुष्कर्म पीड़िता की लंबे संघर्ष के बाद हुई मौत ने इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है। पीड़िता की मौत के बाद अब कानून के लिए आरोपियों को फांसी तक पहुंचाए जाने की राह बेहद आसान हो गई है। पुलिस ने अभी तक सामूहिक दुष्कर्म घटना मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 365, 394, 307, 376 (2जी), 377 व 201 के तहत मारपीट, लूटपाट, सामूहिक दुष्कर्म, कुकर्म और सबूत नष्ट करने का मामला दर्ज किया था। चूंकि पीड़िता कि मौत हो गई है, इसलिए अब इस मुकदमे में धारा 302 के तहत हत्या का आरोप भी दर्ज किया जाएगा। जिसके चलते आरोपियों को फांसी की सजा दी जा सकती है।

धारा 302 बनेगी फांसी की सजा का कारण: भदौरिया

अधिवक्ता मनीष भदौरिया का कहना है कि हत्या के अभियोग में धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आधा दर्जन आरोपियों ने अमानवीय तरीके से युवती से सामूहिक दुष्कर्म व कुकर्म किया। आरोपियों की इसी बर्बरता और अमानवीय व्यवहार के कारण पीड़िता ने अस्पताल में तड़-तड़प कर अपना दम तोड़ दिया। ऐसे में यह अपराध कानून की नजर में दुर्लभतम बड़े अपराध की श्रेणी में आता है। इस तरह के अपराध में आरोपियों को फांसी की ही सजा दी जाती है।

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