इलाज में बरती गई इस गंभीर लापरवाही को जान सन्न रह जाएंगे आप

गैंगरेप की शिकार 23 वर्षीय पीड़िता की भले ही 13 दिन बाद सिंगापुर के अस्पताल में मौत हो गई हो। लेकिन उसकी मौत के लिए कई लोग जिम्मेदार हैं। पीसीआर की सबसे बड़ी चूक युवती को सफदरजंग अस्पताल लाना था, जिस पर बाद में न तो पुलिस के किसी अधिकारी का ध्यान गया और न ही सरकार का। जबकि यह बात सभी को पता है कि सफदरजंग अस्पताल में न तो बेहतर उपकरण व अन्य सुविधाएं उपलब्ध है और न ही वहां अनुभवी नामी वरिष्ठ डॉक्टर। तब वहां युवती को क्यों लाया गया? आज इसका जवाब किसी के पास नहीं है। यह चूक ही शायद युवती की मौत का कारण बनी।

दिल्ली ही नहीं एनसीआर के तमाम बड़े निजी अस्पतालों के डॉक्टरों व पुलिस अधिकारियों के बीच शनिवार को यही चर्चा होती रही कि युवती को सफदरजंग अस्पताल लाने का फैसला बहुत गलत था। यह फैसला दिल्ली पुलिस के किसी अधिकारी, सरकार या डॉक्टर का नहीं था बल्कि पीसीआर का था। जो युवती को अपनी मर्जी से सफदरजंग ले आया था।

इस घटना के बाद दिल्ली ही नहीं देशभर में आंदोलन शुरू हो गए। नेताओं ने अलग-अलग बयान देने शुरू कर दिए। आंदोलन को लेकर पुलिस सांसत में पड़ी रही। युवती को बेहतर उपचार मिले, इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं गया।

बताया जा रहा है कि सफदरजंग अस्पताल में युवती के मस्तिष्क का सीटी स्कैन ही नहीं किया गया, जबकि घटना में दरिंदों द्वारा रॉड मारने से युवती व उसके दोस्त के सिर में चोट लगी थी। सिंगापुर में उसके ब्रेन डेथ का कारण हो सकता है।

थाना क्षेत्र के फेर में सफदरजंग लाए

पीसीआर ने 16 दिसंबर को घटना वाली रात युवती को सफदरजंग इसलिए लाया था क्योंकि दक्षिण-पश्चिम जिला के दो थाने दिल्ली कैंट व नारायणा का पुलिस के इलाका बंटवारा के हिसाब से सफदरजंग अस्पताल ही अधिकार क्षेत्र लगता है।

महिपालपुर के होटल एरिया के सामने दूसरी तरफ जहां युवक-युवती को फेंक दिया गया था, सड़क के उस ओर दक्षिण-पश्चिम जिला का दिल्ली कैंट थाना लगता है। युवक-युवती के बिना कपड़ों के सड़क किनारे पड़े होने की कॉल मिलने पर पीसीआर ने दिल्ली कैंट का इलाका लगने के कारण अपनी मर्जी से दोनों को सफदरजंग में ले जाकर भर्ती करा दिया था।

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