नई दिल्ली, जून 2022 : भारत में आदिवासी और स्वदेशी समुदायों के प्रतिनिधित्व में विभिन्न प्रतिभाओं और समृद्ध संस्कृति से प्रेरित होकर हम जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ अपनी साझेदारी को बढ़ाकर गोइंग ऑनलाइन एज़ लीडर्स (जीओएएल) प्रोग्राम के दूसरे चरण को लॉन्च करेंगे। जीओएएल (गोल 2.0) देश के जनजातीय समुदाय से जुड़े 10 लाख युवाओं और महिलाओं को डिजिटल रूप से कौशल से लैस करेगा। यह प्रोग्राम उन्हें एक-दूसरे से जोड़ेगा और सामाजिक रूप से हाशिए पर खड़े नौजवानों के लिए एक पुल का काम करेगा। इसके लिए उन्हें तकनीक की मदद से उन्हें कई अवसर मिलेंगे, जिसे किसी भी अन्य तरीके से हासिल नहीं किया जा सकता था। इस कार्यक्रम में जनजातीय मामलों के लिए माननीय केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा जी, जनजातीय मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री अनिल कुमार झा जी, आईआईपीए के महानिदेशक श्री एस. एन. त्रिपाठी जी, जनजातीय मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री नवलजीत कपूर जी, देश भर में जनजातीय समुदायों के युवक और उद्यमी उपस्थित हुए।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय की माननीय राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सरुता जी और जनजातीय मामलों के के मंत्रालय माननीय राज्य मंत्री श्री विश्वेश्वर टुडु जी ने काफी मजबूती से इस कार्यक्रम का समर्थन किया है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से पहचाने गए गोल के भागीदारों की वॉट्सऐप पर आधारित लर्निंग बॉट, मेटा बिजनेस कोच तक पहुंच हासिल होगी। इससे इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को तरह-तरह के कौशल सीखने का अवसर मिलेगा कि किस तरह वह फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप का प्रयोग कर अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले भागीदारों को सशक्त बनाया बनाएगा। इस कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर की ओर से तरह-तरह के विषयों पर 9 भाषाओं में फेसबुक लाइव सेशन को शामिल किया जाएगा। इन विषयों में बिना किसी भेदभाव और धोखाधड़ी के सभी को शिक्षा, ऑनलाइन सुरक्षित करने, अफवाहों का मुकाबला करने और अच्छा नागरिक बनने की शिक्षा देना शामिल है।
जनजातीय मामलों के माननीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने गोइंग ऑनलाइन ऐज लीडर्स (गोल) प्रोग्राम के दूसरे चरण की शुरुआत की। यह जनजातीय मामलों के मंत्रालय और मेटा की एक संयुक्त पहल है। गोल 2.0 की पहल का उद्देश्य डिजिटल रूप से 10 लाख युवाओं का कौशल विकास करना है। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से आदिवासी समुदाय की महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए खास ध्यान दिया जाएगा और डिजिटल तकनीक का प्रयोग कर उन्हें नए अवसर प्रदान किए जाएंगे।
इस अवसर पर श्री मुंडा ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने डिजिटल अंतर को भरने पर हमेशा अपने विचार व्यक्त किए हैं। भारतीय आदिवासी समुदाय को डिजिटल रूप से सशक्त बनाकर देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकेगा। यह आदिवासी नेताओं को उभारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गोल के पहले चरण में हमने डिजिटल संरक्षण के कार्यक्रम से आदिवासी युवाओं की जिंदगी को बदला था। दूसरे चरण में हम 10 लाख महिलाओं और युवा उद्यमियों तक पहुंचेंगे। जनजातीय समुदायों द्वारा बनाए गए प्रॉडक्ट्स को दुनिया भर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए ट्राईफेड संग साझेदारी से 50,000 से ज्यादा स्वयंसेवी समूहों और 10 लाख परिवारों के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा।”
आदिवासी समुदायों के लिए डिजिटल सशक्तिकरण की महत्ता पर अपने विचारों को साझा करते हुए फेसबुक इंडिया (मेटा) के वाइस प्रेसिडेंट और प्रबंध निदेशक अजीत मोहन ने कहा, “भारत में बड़े पैमाने पर होने वाला डिजिटल बदलाव तभी पूरा होगा, जब हमारे समाज के सबसे संवेदनशील समुदाय को डिजिटल कौशल से लैस कर सशक्त बनाया जाएगा। हम अपने आदिवासी नेताओं की कुछ कहानियों से काफी प्रभावित हुए थे। इन लोगों को गोल योजना के पहले चरण मे लाभ पहुंचा था। गोल योजना का पहला चरण 2020 में शुरू किया गया था। हम यह पहचान चुके हैं कि आदिवासी समुदाय को डिजिटल टूल्स और तकनीक तक पहुंच प्रदान करने से उनके लिए बड़े पैमान पर अवसरों के द्वार खुलेंगे, जो इस समय बंद है। इसलिए हम इस योजना के दूसरे चरण को लॉन्च करने के लिए बेहद उत्साहित हैं। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ साझेदारी में गोल 2.0 से आदिवासी समुदाय की 10 लाख महिलाओं और युवाओं को कौशल में दक्ष बनाकर सशक्त बनाया जाएगा, जिससे वह डिजिटल प्लेटफॉर्म और टूल्स की पूरी क्षमता का लाभ उठा सकें।”
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री अनिल झा ने इस अवसर पर कहा, “गोल कार्यक्रम के माध्यम से आदिवासी इलाकों में रहने वाले युवक और महिलाएं सोशल प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक से अपनी संस्कृति और कला का प्रदर्शन करने में सक्षम हुए हैं। गोल 2.0 कार्यक्रम लाखों और आदिवासी महिलाओं और युवकों को इस कार्यक्रम का लाभ उठाने के काबिल बनाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी समाज के युवकों और महिलाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग करने में पूरी तरह सक्षम बनाकर उन्हें डिजिटल टेक्नोलॉजी में सशक्त बनाना है। इसके अलावा समुदाय के विकास के लिए उनके नेतृत्व कौशल को और निखारा जाएगा।”
जनजातीय मामलों के मंत्रालय की माननीय राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने बताया, “हमने गोल की पायलट परियोजना में सफलता की काफी शानदार मिसाल देखी है। गोल की पायलट परियोजना को 2020 में लॉन्च किया गया था। आदिवासी और स्वदेशी समुदायों की महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण में इस कार्यक्रम की क्षमता ने हमें काफी गहराई से प्रेरित किया है। आज इन महिलाओं की डिजिटल टूल्स तक पहुंच बन गई है। इससे इन महिलाओं के लिए देश के कुछ बड़े कारोबारियों के साथ जुड़ने के अवसर मिले हैं। हम इन महिलाओं को शुभकामना देते हैं। हम दूसरे चरण में इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए अन्य कई महिलाओं को भी आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।”
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री श्री बिश्वेश्वर टुडु ने कहा, “मैं खुश हूं कि हमने इस कार्यक्रम का दायरा बढ़ाकर 10 लाख महिलाओं और युवाओं को इस कार्यक्रम में शामिल किया है। प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में हम देश के आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए युवाओं को विभिन्न कौशल से लैस कर उन्हें सशक्त बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह कार्यक्रम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
भारत की कुल आबादी में जनजातीय जनसंख्या लगभग 8.6 फीसदी है। भारत के आदिवासी समुदायों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाकर हम देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में उल्लेखनीय रूप से योगदान दे सकते हैं। यह जनजातीय समुदाय में से नेताओं को उभारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। गोल के पहले चरण में देश भर के आदिवासी युवकों को प्रेरित करना, उन्हें आपस में जोड़ना और उन्हें कौशल में दक्ष बनाना शामिल था। गोल के नतीजे के रूप में आदिवासी समुदाय के 75 फीसदी भागीदारों ने यह स्वीकार किया कि वे अपने विचारों को शब्दों में बेहतर ढंग से व्यक्त करने में सक्षम हुए हैं और इसके साथ ही उनके व्यक्तिगत कौशल में भी सुधार आया है। इसमें करीब 69 फीसदी लोग अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए डिजिटल कॉमर्स का लाभ उठाने में सक्षम हुए, जबकि 63 फीसदी लोगों ने कहा कि इस कार्यक्रम ने उन्हें यह समझाने में मदद की है कि किस तरह अपने बिजनेस को खड़ा करना है।
इस कार्यक्रम का लक्ष्य आदिवासी और जनजातीय समुदायों को मजबूत बनाना है, जिसे वह डिजिटल प्लेटफॉर्म की पूरी क्षमता का लाभ उठा सके और अपने समुदाय का विकास करने के लिए उसमें नेतृत्व के गुण विकसित हो सके। आदिवासी महिलाओं और युवाओं को डिजिटल दायरे में शामिल कर इस कार्यक्रम का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में सक्रिय रूप से योगदान करना है। इस कार्यक्रम से हमने सबसे संवेदनशील समुदायों को समर्थन करना जारी रखा है। इस कार्यक्रम में हमने मुख्य रूप से आदिवासी युवकों और ग्रामीण क्षेत्रों में अपने कारोबार करने वाली महिवलाओं पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया है।