चिता में जली एक मशाल

आत्मसम्मान और अप्रतिम साहस की मिसाल बनी सामूहिक दुष्कर्म की शिकार युवती रविवार सुबह एक मशाल बनकर पंचतत्व में विलीन हो गई। जाते-जाते वह हर हिंदुस्तानी के दिल में अन्याय के प्रतिकार की लौ जला गई। इसीलिए दिल्ली और शेष देश में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला कायम है। देश की बहादुर बेटी का रविवार सुबह गुपचुप तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले सिंगापुर से दिल्ली लाए गए शव को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सीधे एयरपोर्ट पहुंचे थे।

अंतिम संस्कार से पहले पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट से सीधे महावीर एंक्लेव स्थित उसके घर ले जाया गया। वहां से भारी सुरक्षा इंतजाम के बीच द्वारका सेक्टर-24 के श्मशान घाट में पिता ने बेटी को मुखाग्नि दी। भारतीय समयानुसार एयर इंडिया का विमान एवन-380 शनिवार रात 10 बजे सिंगापुर से रवाना हुआ, जो रविवार तड़के 3.30 बजे इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट [आइजीआइ] पर पहुंचा। विमान के उतरते ही प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष का काफिला एयरफोर्स स्टेशन पालम के रास्ते अंदर पहुंचा। दोनों नेताओं ने पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देकर पीड़ित के परिजनों को सांत्वना दी। प्रधानमंत्री सिंह और सोनिया गांधी ने एयरपोर्ट पहुंचकर आक्रोशित जनता की संवेदनाएं जीतने की कोशिश की। एयरपोर्ट पर सोनिया और प्रधानमंत्री ने मौजूद रहकर यह संदेश दिया कि सरकार न सिर्फ संवेदनशील है, बल्कि गंभीर भी है।

पीएम के काफिले के जाते ही शव को एयरपोर्ट से बाहर निकाला गया। सुबह लगभग 4.30 बजे उसे एंबुलेंस से महावीर एंक्लेव स्थित उसके घर ले जाया गया। एंबुलेंस के साथ-साथ पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों की दो दर्जन गाड़ियां चल रही थीं। महावीर एंक्लेव के आसपास रात में ही भारी पुलिस बंदोबस्त कर दिया गया था। शव के पहुंचते ही घर के आसपास के इलाके की घेराबंदी कर दी गई। इससे कई पड़ोसी उसके अंतिम दर्शन नहीं कर पाए। इस पर कुछ लोगों ने नाराजगी भी जताई, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें पीड़िता के घर जाने की इजाजत नहीं दी। लगभग डेढ़ घंटे शव को घर पर रखा गया। इसके बाद भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच शव को द्वारका सेक्टर-24 स्थित शमशान घाट लाया गया। लगभग पांच किलोमीटर लंबे इस पूरे रास्ते में पुलिस तैनात रही।

श्मशान घाट पर लगभग साढ़े छह बजे शव को लाया गया। पुलिस अधिकारियों ने वहां पहुंचते ही चिता का इंतजाम करने को कहा, लेकिन परिजनों और श्मशान घाट के प्रबंधकों ने हिंदू रीति-रिवाजों का हवाला देते हुए सूर्योदय तक ऐसा करने से इन्कार कर दिया।

पुलिस अधिकारी सूर्योदय तक का जोखिम नहीं उठाना चाहते थे, लेकिन परिजनों की नाराजगी झेलने की स्थिति में भी नहीं थे। इसलिए लगभग एक घंटे के इंतजार के बाद पीड़ित युवती के पिता ने शव को मुखाग्नि दी। इस दौरान श्मशान घाट में मौजूद रहे गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने बताया कि परिजनों, पड़ोसियों और अधिकारियों की मौजूदगी में रविवार सुबह 7 बजकर 25 मिनट पर पीड़िता का अंतिम संस्कार किया गया। वह सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर यहां मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि परिजनों की निजता को ध्यान में रखते हुए अंतिम संस्कार पूरी गोपनीयता के साथ किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, सांसद महाबल मिश्रा, विधायक जगदीश मुखी, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता भी मौजूद थे।

कुछ भी हो मेरी तो बेटी चली गई ना..

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: बेटी को खोने का दर्द न बर्दाश्त कर पाने के कारण मां की हालत रविवार सुबह बिगड़ गई। उन्हें दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दौरान रह-रह कर उनके मुंह से एक ही बात निकलती-‘कुछ भी हो मेरी तो बेटी चली गई ना..।’ इतना कहकर वह बेहोश हो जातीं। पूरे दिन इलाज के बाद शाम को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उन्होंने पिछले हफ्ते से अन्न त्याग दिया है।

सुबह करीब पौने सात बजे घर से बेटी का शव निकलने के कुछ देर बाद ही अचानक उसकी मां बेहोश हो गई। परिजन आनन-फानन में अस्पताल ले गए, जहां उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि बेटी खोने के गम से वह बुरी तरह सदमे में हैं।

इलाज के दौरान वह पांच बार बेहोश हुई। बार-बार आग्रह के बाद उन्होंने जब कुछ भी खाने से इन्कार कर दिया, तब अंत में डॉक्टरों ने ग्लूकोज चढ़ाने का फैसला किया। पूरे दिन करीब पांच बोतल ग्लूकोज चढ़ाई गई। तीन दिन बाद निरीक्षण के लिए डॉक्टरों ने उन्हें दोबारा अस्पताल बुलाया है।

बेटों की करतूत पर शर्मिदा हैं मां-बाप

नरेंद्र शर्मा। दिल्ली गैंग रेप की शिकार छात्रा दामिनी की मौत से जहां पूरा देश आक्रोशित हैं, वहीं मामले के दो मुख्य आरोपियों के माता-पिता भी काफी आहत हैं। वे बेटों की करतूत पर शर्मिदा है। राजस्थान के करौली के कच्चे घर में रह रहे माता-पिता को बेटों की चिंता से अधिक छात्रा की मौत का दुख है। दामिनी की मौत की खबर सुनकर आरोपियों की मां कल्याणी देवी की आंखों में आंसू छलक पड़े। हालांकि, एक मां के नाते अपने बेटों की चिंता भी उन्हें सता रही है लेकिन फिर भी माता-पिता दिल मजबूत करते हुए कहते हैं ‘उन्हें तो अपनी करनी की सजा तो भोगनी ही पड़ेगी, लेकिन उनके साथ अब हमारा भी पूरा जीवन खराब हो गया।’

आरोपियों की मां कल्याणी देवी रोते हुए गांव के हर आदमी से पूछती हैं- आप तो जानते होंगे मेरे बटों को क्या सजा मिलेगी। लोगों की मांग पर क्या उन्हें फांसी दी जाएगी? वहीं पिता मांगीलाल कहते हैं कि अब रोने से क्या होगा? हमारे बेटों ने जैसा किया है, वैसा भरेंगे।

रामसिंह और मुकेश की गिरफ्तारी के बाद रिश्तेदार और गांव वाले भी दूर हो गए हैं। मांगीलाल ने बताया कि घटना के दिन से गांव वाले उन्हें देखते ही दूर हो जाते हैं, कोई बात करने को तैयार नहीं। पड़ोसी हमारा मुंह देखकर रास्ता बदल लेते हैं। मांगीलाल के पांच बेटों में रामसिंह दूसरा और मुकेश सबसे छोटा है। वहीं रविवार को राजस्थान के सभी जिलों में शोकसभा और उग्र प्रदर्शन भी हुए।

आरोपी अक्षय के शहर में भड़का आक्रोश

औरंगाबाद। सामूहिक दुष्कर्म की शिकार छात्रा की मौत के बाद आरोपी अक्षय ठाकुर के गृह प्रखंड नवीनगर में ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा। लोग सड़कों पर उतर आए और सड़क जाम कर दोषियों को फांसी देने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अक्षय की वजह से हम लोगों का सिर शर्म से झुक गया है। बिहार के अन्य शहरों में भी लोगों ने प्रदर्शन किया। व्यापारियों ने भी कैंडल मार्च निकाला।

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