नई दिल्ली, अक्टूबर, 2022: भारत में अंतरिक्ष एवं उपग्रह कंपनियों के शीर्ष उद्योग संघ- इंडियन स्पेस एसोसिएशन (इस्पा) ने अपने प्रथम स्थापना दिवस पर “इंडियन स्पेस कॉन्क्लेव” में ईवाई के साथ भारत में विकासशील अंतरिक्ष पारितंत्र समावेशी वृद्धि केंद्रित शीर्षक से एक रिपोर्ट आज पेश की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष इस्पा को लांच किया था। यह रिपोर्ट भारत में अंतरिक्ष पारितंत्र के विकासशील घटकों को सामने लाती है और इसमें भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के परिदृश्य एवं देश में इससे सामाजिक आर्थिक विकास में तेजी आने की संभावना को कवर किया गया है। इस आयोजन में पृथ्वी विज्ञान, अंतरिक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, प्रधानमंत्री कार्यालय राज्यमंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह, अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो चेयरमैन श्री एस. सोमनाथ और उद्योग जगत की हस्तियां शामिल हुईं।
नयी दिल्ली के मानेसशॉ सेंटर में आयोजित “इंडियन स्पेस कॉन्क्लेव” में उद्योग जगत से शामिल लोगों ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत, भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को हासिल करने के उपायों और आम आदमी के लिए अंतरिक्ष को सार्थक बनाने जैसे विषयों पर चर्चा की। इस कॉन्क्लेव के उपरांत दो दिनों तक प्रदर्शनी चलेगी जिसमें अग्रणी स्पेस स्टार्टअप्स और अकादमिक संस्थानों की तरफ से 24 प्रदर्शकों द्वारा अपने उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे।
इस अवसर पर इस्पा के चेयरमैन श्री जयंत डी पाटिल ने कहा, माननीय प्रधानमंत्री द्वारा इस्पा को लांच किए जाने के एक वर्ष में इसने नीति संबंधी परामर्श, उद्योगपतियों के साथ बातचीत में उल्लेखनीय प्रगति की है। हम हमारी परिचर्चा में विभिन्न मंत्रालयों और संस्थानों की ओर से सहयोग और पूरे साल हमारे सदस्यों की भागीदारी की सराहना करते हैं और हमें यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता है कि इस्पा 50 सदस्यों वाला एक मजबूत संगठन है और महज एक वर्ष में यह संख्या सात से बढ़कर 50 पहुंची है। यह हमारे उन प्रयासों का प्रमाण है जिसे सही दिशा में श्रृंखलाबद्ध किया जा रहा है। अंतरिक्ष पारितंत्र के तेजी से बढ़ने के साथ भारत साल दर साल 6 प्रतिशत की वृद्धि दर से वर्ष 2025 तक 13 अरब डॉलर पर पहुंचने को तैयार है। हमारा मानना है कि चूंकि भारत में नयी अंतरिक्ष नीति आने की उम्मीद है, निजी क्षेत्र की भूमिका भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की मौजूदा मूल्य श्रृंखला में एक क्रांति लाने की होगी।”
इस अवसर पर अंतरिक्ष, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने कहा, “मैं समझता हूं कि यह पूरी कवायद जिसे पिछले एक वर्ष में अंतरिक्ष के क्षेत्र में हासिल किया गया है, पिछले कुछ वर्षों का एक विस्तार है। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने हमें आगे बढ़ने को प्रोत्साहित किया क्योंकि अंतरिक्ष क्षेत्र सार्वजनिक निजी भागीदारी के लिए खुल गया और आज यह क्षेत्र बड़ी संख्या में स्टार्टअप्स को आकर्षित कर रहा है। वैश्विक स्तर पर भारत जियोस्पैटियल टेक्नोलॉजी में भी एक बहुत मजबूत देश बनकर उभरा है। मुझे यह जानकार खुशी है कि इस्पा ने उद्योग के विचारों और इसकी भागीदारी बढ़ाते हुए सुधारों को लागू करने में ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाई है।”
इस अवसर पर अंतरिक्ष विभाग के सचिव एवं इसरो चेयरमैन श्री एस सोमनाथ ने कहा, “हमारा लक्ष्य अंतरिक्ष और भारत का कद परिचालन के मामले में बहुत बड़ा करने का है। भारत एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गया है जहां हमें अंतरिक्ष क्षेत्र को अगले स्तर पर ले जाने की जरूरत है और यहां अंतरिक्ष को पूरी तरह से खोलने का विचार ज्ञान के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। डाउनस्ट्रीम एप्लीकेशंस कम जटिल है, लेकिन जब आप ऊपर जाते हैं तो यह बहुत जटिल और मुश्किल हो जाता है। यही वह क्षेत्र है जहां हमें एक दूसरे के सहयोग की जरूरत है और यहीं पूरे अंतरिक्ष की भूमिका आती है। अंतरिक्ष क्षेत्र ढ़ेरों समस्याएं और जलवायु, मैपिंग, इंटरनेट सेवाओं के महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझा सकता है। इन्हीं कुछ उभरते बाजारों को हम बढ़ता हुआ देखेंगे।”
इस अवसर ईवाई के टीएमटी लीडर (उभरते बाजार) प्रशांत सिंघल ने कहा, “मैं इस्पा की पहली वर्षगांठ पर और भारत में अंतरिक्ष उद्योग में इसके योगदान के लिए बधाई देना चाहूंगा। भारत में डिजिटल अंतर घटाने के लिए अंतरिक्ष आधारित संचार प्रमुख कारकों में से एक होगा। उपग्रहों की सहज पहुंच और त्वरित संपर्क स्थापित करने की इसकी क्षमता उन क्षेत्रों में अत्यधिक महत्वपूर्ण होगी जहां संचार सुविधाएं पहुंचाना कठिन है। भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को निजी भागीदारी के लिए खोलना, वृद्धि एवं नवप्रवर्तन के एक नए युग का सूत्रपात है। यह सरकार द्वारा किए जा रहे कई अंतरिक्ष सुधारों में से एक है। एक अनुकूल नियामकीय एवं नीतिगत रूपरेखा और साथ ही कारोबारी सुगमता को प्रोत्साहन, अंतरिक्ष के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है और दीर्घकाल में इससे एक जबरदस्त पारितंत्र का निर्माण होगा। मैं आशा करता हूं कि ईवाई-इस्पा रिपोर्ट से भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के निर्माण में वार्ता को आकार देने और भारतीयों के जीवन में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।”
अपनी स्थापना से एक वर्ष के भीतर इंडियन स्पेस एसोसिएशन (इस्पा) ने संपूर्ण अंतरिक्ष क्षेत्र खासकर निजी अंतरिक्ष उद्योग को साथ लाने में एक अहम भूमिका अदा की है। इसने नीतिगत वकालत के साथ ही ट्राई, दूरसंचार विभाग, रक्षा मंत्रालय, इन-स्पेस और अन्य सहित विभिन्न भागीदारों के साथ तालमेल स्थापित किया है ताकि भारत को आत्मनिर्भर, प्रौद्योगिकी के तौर पर उन्नत और अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बनाया जा सके। इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक के मुताबिक, सभी सरकारी विभागों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया और सहयोग मिला है जोकि सरकार के एक सुगमकर्ता बनने की माननीय प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप है।
इस क्षेत्र की स्थापित स्टार्टअप कंपनियों के इस्पा के सदस्य होने के साथ इसने प्रस्तावित अंतरिक्ष नीति को लेकर परामर्श में अहम भूमिका निभाई है और एक बार इस नीति के लागू होने पर निजी अंतरिक्ष उद्योग को पंख लग जाएंगे और स्पेस स्टार्टअप पारितंत्र में वृद्धि की एक नयी लहर पैदा होगी। इस्पा की सदस्य कंपनियां जैसे एस्ट्रॉम टेक्नोलॉजी , अग्निकुल कॉसमॉस, पिक्सेल और कई अन्य कंपनियों में विकास की भारी संभावना है और एक गठबंधन के उदाहरण के तौर पर इस्पा की सदस्य वनवेब के 36 उपग्रह इसरो द्वारा अक्टूबर में लांच किए जाएंगे।