जब हैवानियत हद को पार कर जाए तो अपने भी हिमायत करने के बजाए हिकारत की नजर से देखते हैं। जब रावण घर में पैदा हो तो अपने हों या पराए सभी उसे काल के गाल में ही भेजना चाहते हैं।
दिल्ली में चलती बस में 16 दिसंबर को हुए गैंगरेप से उमड़ा गम के सैलाब ने दरिंदों के परिजनों को अपने आगोश में ले रखा है। उन्हें झकझोर दिया है। उनका सिर शर्म से इस कदर झुका हुआ है कि वो अब सिर्फ मौत चाहते हैं। बस मौत अपने बेटों की।
जब पूत कपूत हो जाए तो एक बाप कुछ ऐसी ही फरियाद करता है। सभी आरोपियों के परिजनों ने कहा कि ऐसे दरिंदों को अपना बेटा कहने से पहले हम मरना पसंद करेंगे। एक आरोपी विनय के पिता गुस्से और दर्द को समेटे हुए कहते हैं कि काश, उनकी उम्र उस लड़की को लग जाती और उनका बेटा विनय मर जाता।
विनय के पिता को जब अपने बेटे की करतूत का पता चला तो उन्होंने चलती ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान देने की कोशिश की थी, लेकिन वह बच गए और जब उनसे इस बारे में बात की गई तो उनकी आंखें नम हो गई। कुछ ना बोल सके, बस उनकी पथराई आंखें उनका दर्द बयान कर रही थीं।
कहते हैं कि बुरी संगत और बुरी लत कहीं का नहीं छोड़ती। विनय के परिजनों की मानें तो राम सिंह की बुरी संगत की वजह से ही विनय की यह हालत हुई है। हालांकि इतने दिनों तक विनय ने कोई गुनाह नहीं किया था।
दूसरा आरोपी पवन और विनय दोनों ही बस्ती के रहने वाले हैं। दोनों के घर की माली हालत खराब है। पवन के परिजन कहते हैं कि उनकी माली हालत भले ही कितनी भी खराब रही हो लेकिन पवन ने कोई गलत काम नहीं किया है। महज राम सिंह की संगत का असर है कि उसने हैवानियत का ऐसा नंगा नाच किया। लेकिन उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पवन के घर में दो छोटी बहने हैं।
अब जरा राम सिंह के नाम के असली रावण की लंका पर एक नजर डालें। नाम नयन सुख आंख के अंधे। जी हां कुछ इसी कहावत को चरितार्थ कर रहा है राम सिंह का संगीन इतिहास।
राम सिंह पहले से ही कई गुनाहों से लिप्त है। राम सिंह के गांव वाले बताते हैं कि उसके घर में कोई नहीं है। तीन साल पहले उसकी पत्नी की मौत हो गई तभी से वह घर में अकेला रहता है। लेकिन शराब की लत ने उसे कहीं का नहीं छेड़ा। मोहल्ले वाले बताते हैं कि उससे कोई भी मुंह नहीं लगाना चाहता था। वह लड़कियों को आते-जाते छेड़ता रहता था। उसके घर में शराब की बोतलों का ढेर है। उसने कई अपराध किए हैं।
सामूहिक दुष्कर्म के छह आरोपियों में से एक किशोर बदायूं के गांव भवानीपुर नगला का है। दिल्ली पुलिस ने गांव से किशोर की उम्र की जानकारी ली थी। आरोपी की उम्र रजिस्टर के अनुसार सत्रह साल आठ माह है। गांव के प्राथमिक विद्यालय पर तैनात शिक्षक ने उपस्थिति रजिस्टर उपलब्ध करा दिया। लोगों का कहना है कि सभी आरोपियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
दरिंदों में महज एक 17 साल के इस नाबालिग आरोपी की मां ने कहा कि भले ही उनका बेटा हेल्पर होने के कारण बस में हुए गुनाह का हिस्सेदार था लेकिन उसने इससे पहले कोई गुनाह नहीं किया है। वह एक आम इन्सान था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके बेटे का गुनाह साबित होता है तो उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बाकायदा आदेश करवाकर उस विद्यालय की उपस्थिति पंजिका हासिल की, जिसमें आरोपी किशोर पढ़ता था। विद्यालय रिकॉर्ड के अनुसार आरोपी किशोर की उम्र 17 साल आठ महीने है। पुलिस विद्यालय का रजिस्टर अपने साथ ले गई।